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आया है ‘कोरोना’,रक्षा के लिए डरो ना

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’
अल्मोड़ा(उत्तराखंड)

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आया है ‘कोरोना’,
अपनी रक्षा के लिए डरो ना।

यह चीन के वुहान से प्रकट होकर आया है,
एक-दूसरे के संपर्क में आने से विश्व में मँडराया है।
इस कोरोनासुर ने सारे जग में त्राहि-त्राहि मचा दी है,
पूरे विश्व में एक तृतीय विश्व युद्ध की अनोखी हलचल मचा दी है।
अब इससे किसी भी तरह आप बचो ना,
आया है कोरोना,अपनी रक्षा के लिए डरो ना॥

यह ऐसा नहीं है कि जो सामने से आकर लड़ेगा,
यह ऐसा नहीं है जो शरीर में घुसने से पहले दिखेगा।
छूने मात्र से ही यह संक्रमित हो जाता है,
हाथों में आते ही शरीर में प्रविष्ट हो जाता है।
जरूरी है सभी को खाने से पहले साबुन से हाथ धोना,
आया है कोरोना,अपनी रक्षा के लिए डरो ना॥

न यह कोई आतंकी,उग्रवादी नहीं दुश्मन है,
बल्कि अदृश्य,अदभुत द्रुतगामी जानलेवा विषाणु है।
यह किसी जाति-धर्म,देशी-विदेशी,अमीर-गरीब की पहचान नहीं करता,
यह मिलन-संगत-स्पर्श,असावधानी, अस्वच्छता से है फैलता।
आज इसके भय से सावधान रहो ना,
आया है कोरोना,अपनी रक्षा के लिए डरो ना॥

अपने-आपको बचाओगे तो घर-परिवार बचेगा,
गाँव बचेगा,समाज बचेगा,प्रांत व देश बचेगा।
इस घड़ी में अपनी रक्षा व बचाव ही लोक कल्याण है,
सबको इससे बचने का उपाय बताना ही जीवनदान है।
आज मिलकर इस मुहिम को आगे बढ़ाओ ना,
आया है कोरोना,आत्मरक्षा के लिए डरो ना॥

ना किसी से मिलना है,ना किसी को छूना है,
दूरी रखकर बातें करनी,न किसी से हाथ मिलाना है।
जो भी सामान घर में आए,उसके पैकेट धोना है,
साबुन से ठीक से हाथ धोकर सैनिटाइजर लगाना है।
अगर जरूरी बाहर जाना तो मुँह में मास्क लगाओ ना,
आया है कोरोना,अपनी रक्षा के लिए डरो ना॥

कहीं से घर आते हो तो बाहर के वस्त्र उतारो,
बाहर ही खूंटी से टाँगो,जूते-चप्पल खोलो।
हाथ-पाँव साबुन से धोकर फिर घर अंदर आओ,
कहीं किसी के निकट न जा,ना बच्चा गोद उठाओ।
नहीं किसी के आगे बिन कपड़े के खाँसी छींको ना,
आया है कोरोना,अपनी रक्षा के लिए डरो ना…॥

परिचय-डॉ.धाराबल्लभ पांडेय का साहित्यिक उपनाम-आलोक है। १५ फरवरी १९५८ को जिला अल्मोड़ा के ग्राम करगीना में आप जन्में हैं। वर्तमान में मकड़ी(अल्मोड़ा, उत्तराखंड) आपका बसेरा है। हिंदी एवं संस्कृत सहित सामान्य ज्ञान पंजाबी और उर्दू भाषा का भी रखने वाले डॉ.पांडेय की शिक्षा- स्नातकोत्तर(हिंदी एवं संस्कृत) तथा पीएचडी (संस्कृत)है। कार्यक्षेत्र-अध्यापन (सरकारी सेवा)है। सामाजिक गतिविधि में आप विभिन्न राष्ट्रीय एवं सामाजिक कार्यों में सक्रियता से बराबर सहयोग करते हैं। लेखन विधा-गीत, लेख,निबंध,उपन्यास,कहानी एवं कविता है। प्रकाशन में आपके नाम-पावन राखी,ज्योति निबंधमाला,सुमधुर गीत मंजरी,बाल गीत माधुरी,विनसर चालीसा,अंत्याक्षरी दिग्दर्शन और अभिनव चिंतन सहित बांग्ला व शक संवत् का संयुक्त कैलेंडर है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में बहुत से लेख और निबंध सहित आपकी विविध रचनाएं प्रकाशित हैं,तो आकाशवाणी अल्मोड़ा से भी विभिन्न व्याख्यान एवं काव्य पाठ प्रसारित हैं। शिक्षा के क्षेत्र में विभिन्न पुरस्कार व सम्मान,दक्षता पुरस्कार,राधाकृष्णन पुरस्कार,राज्य उत्कृष्ट शिक्षक पुरस्कार और प्रतिभा सम्मान आपने हासिल किया है। ब्लॉग पर भी अपनी बात लिखते हैं। आपकी विशेष उपलब्धि-हिंदी साहित्य के क्षेत्र में विभिन्न सम्मान एवं प्रशस्ति-पत्र है। ‘आलोक’ की लेखनी का उद्देश्य-हिंदी भाषा विकास एवं सामाजिक व्यवस्थाओं पर समीक्षात्मक अभिव्यक्ति करना है। पसंदीदा हिंदी लेखक-सुमित्रानंदन पंत,महादेवी वर्मा, सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’,कबीर दास आदि हैं। प्रेरणापुंज-माता-पिता,गुरुदेव एवं संपर्क में आए विभिन्न महापुरुष हैं। विशेषज्ञता-हिंदी लेखन, देशप्रेम के लयात्मक गीत है। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति का विकास ही हमारे देश का गौरव है,जो हिंदी भाषा के विकास से ही संभव है।”

 

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