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वक्त का ये पहिया

मोहित जागेटिया
भीलवाड़ा(राजस्थान)
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गुजर जाते हैं वो दिन,
जिसे मैं याद करता हूँl
लौट नहीं आते वो दिन,
जिसे मैं याद करता हूँ।
वक्त का ये सफ़र निकल रहा है,
ज़िंदगी के साथ-साथ ये चल रहा है।
अवसर,आशा बन रही है,
कुछ ख़्वाब,कुछ यादें सज रही है।
जो बीत रहा है,वो बीत रहा है,
कुछ लम्हें ज़िंदगी के छूट रहे हैंl
कुछ घोर निराशाएं टूट रहीं हैं,
वक़्त के साथ ये ज़िंदगी
रोज-रोज नई बन रही है।
मन की उमंग रोज नई बन रही है,
जीवन के सपने
नये आयाम को आकार दे रहे हैं।
उम्र का ये दौर मेरा गुजर रहा है,
वक्त का ये पहिया
ज़िंदगी का सफ़र निकाल रहा हैll

परिचय–मोहित जागेटिया का जन्म ६ अक्तूबर १९९१ में ,सिदडियास में हुआ हैl वर्तमान में आपका बसेरा गांव सिडियास (जिला भीलवाड़ा, राजस्थान) हैl यही स्थाई पता भी है। स्नातक(कला)तक शिक्षित होकर व्यवसायी का कार्यक्षेत्र है। इनकी लेखन विधा-कविता,दोहे,मुक्तक है। इनकी रचनाओं का प्रकाशन-राष्ट्रीय पत्र पत्रिकाओं में जारी है। एक प्रतियोगिता में सांत्वना सम्मान-पत्र मिला है। मोहित जागेटिया ब्लॉग पर भी लिखते हैं। आपकी लेखनी का उद्देश्य-समाज की विसंगतियों को बताना और मिटाना है। रुचि-कविता लिखना है।

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