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वरदान हैं वृक्ष

गीता गुप्ता ‘मन’
उन्नाव (बिहार)
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प्रकृति का उपहार हैं वृक्ष,
वसुधा का श्रृंगार हैं वृक्ष।
प्राण वायु उत्सर्जन करके,
नित करते उपकार हैं वृक्ष॥

भूमि का सम्मान हैं वृक्ष,
ईश्वर का वरदान हैं वृक्ष।
कलरव मधुर सरस फल शीतल,
उपमेय कहीं उपमान हैं वृक्ष॥

गर्मी की शीतल छाँव हैं वृक्ष,
थकते पथिकों को पाँव हैं वृक्ष।
खग वृन्द जहाँ आश्रय पाते,
सुंदर-सा एक गाँव हैं वृक्ष॥

रखते जग का ध्यान हैं वृक्ष,
निःस्वार्थ करते दान हैं वृक्ष।
मूल्यवान हैं तृण-तृण इनका,
पर काट रहे इंसान हैं वृक्ष॥

मनभावन हरियाली हैं वृक्ष,
जीवन की खुशहाली हैं वृक्ष।
संकल्प करें बचायेंगे इन्हें,
संकट में हर डाली है वृक्ष॥

परिचय:गीता गुप्ता का साहित्यिक उपनाम ‘मन’ है। आपका जन्म ८ मई १९८७ को उत्तर प्रदेश की उन्नाव जनपद के बिहार ग्राम में हुआ है। वर्तमान में हरदोई(उ.प्र.) शहर में और स्थाई पता ग्राम राधागंज जिला उन्नाव (बिहार)है। स्नातक,परास्नातक तथा बीएड शिक्षित गीता गुप्ता का कार्यक्षेत्र -अध्यापन(प्रा. विद्यालय में शिक्षिका) है। इनकी लेखन विधा-कविता,गीत,बाल कविता ग़ज़ल और हायकू आदि है। ‘मन’ की रचनाओं को स्थानीय पत्र-पत्रिकाओं में स्थान मिला है। इनकी लेखनी का उद्देश्य-मातृभाषा हिन्दी से प्रेम और इसका विश्व पटल पर सम्मान बढ़ाना है। हिन्दी और आंग्लभाषा की अनुभवी गीता गुप्ता की रुचि-बच्चों को पढ़ाने, कविता लिखने,संगीत सुनने एवं पुस्तकें पढ़ने आदि में है।

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