कुल पृष्ठ दर्शन : 931

You are currently viewing वाह रे! पैसे

वाह रे! पैसे

ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’
अलवर(राजस्थान)
***************************************

वाह रे! पैसे तेरी खुमारी,
रिश्तों में अहंकार जगाया
अनचाही-सी एक बीमारी,
हर कोई इससे ग्रसित पाया।

भावों की अब कद्र नहीं है,
कैसे मिटे गमों का साया
कोई किसी का हमदर्द नहीं है,
क्यों पैसे को बड़ा बनाया।

पैसा कर दे अपनों से दूर,
हर कोई अब लगे पराया
अहंकार भर गया भरपूर,
कैसा-कैसा उत्पात मचाया।

भाई-भाई में आई खटास,
इज्जत-बाड़ी सब गंवाया
भूख लगे न, लगे अब प्यास,
अपनों ने ही जाल बिछाया।

सारी ख्वाहिशें रह गई अधूरी,
कैसा ये मकड़जाल बनाया।
कैसे मिटे अब रिश्तों की दूरी,
अपनों ने अपनों को सताया।

परिचय- ताराचंद वर्मा का निवास अलवर (राजस्थान) में है। साहित्यिक क्षेत्र में ‘डाबला’ उपनाम से प्रसिद्ध श्री वर्मा पेशे से शिक्षक हैं। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में कहानी,कविताएं एवं आलेख प्रकाशित हो चुके हैं। आप सतत लेखन में सक्रिय हैं।