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शब्दों को मिलाया जाए

हरिहर सिंह चौहान
इन्दौर (मध्यप्रदेश )
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नव सृजन, नव चेतना को जगाया जाए,
आओ, कलात्मक साहित्य के क्षेत्र में कुछ नया किया जाए
सृजनशीलता में मन लगाया जाए,
शब्दों से शब्दों को मिलाया जाए
विचारात्मक शैली में आओ,
नई रचनाओं को बनाया जाए
हर एक शब्द से हर एक विचार को,
नए शब्द संसार में सजाया जाए।
नव सृजन, नव चेतना को जगाया जाए…

आओ हम सब मिलकर कुछ नया करते हैं,
चिंतन के हर एक पहलू पर मंथन करते हैं
छंद, दोहे, काव्य, लेख, आलेख, गीत, ग़ज़ल की इस बगिया में,
साहित्य का फूल खिलाया जाए।
रचनाओं के इस शब्द संसार में,
फिर शब्दों से शब्दों को मिलाया जाए॥
नव सृजन, नव चेतना को जगाया जाए…