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सकारात्मक रहना बहुत जरूरी

डॉ.अरविन्द जैन
भोपाल(मध्यप्रदेश)
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मनोविज्ञान…

हम सभी अक्सर खुश रहने की कोशिश करते हैं, लेकिन किसी ना किसी बात की चिंता लगी ही रहती है। कभी हमें बच्चों की पढ़ाई की चिंता होती है, तो कभी काम की। इन बुरे विचारों से बचने के लिए कुछ बातों का ध्यान रख सकते हैं।
हर एक व्यक्ति का दिमाग अलग तरीके से काम करता है। ऐसे में कौन, कब और क्या सोच रहा है, यह उस व्यक्ति विशेष पर निर्भर करता है। हमारा दिमाग हर चीज पर प्रतिक्रिया देता है और उसके बाद हमारे दिमाग में तरह-तरह के विचार आते हैं।
जरूरी नहीं है कि हम जिंदगी में हमेशा खुश ही रहें। कई बार हमें तरह-तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसा होने पर आराम-विराम लेना बहुत जरूरी होता है। अगर तनावग्रस्त, चिंतित और नकारात्मक विचारों से परेशान हैं, तो आपको खुद को सामान्य करने की आवश्यकता होती है।
सही और गलत के बीच फर्क करने की कोशिश करने से भी काफी हद तक नकारात्मक विचारों से दूर रह सकते हैं। कई बार हम खुद-ब-खुद बुर विचारों के जाल में फंसते चले जाते हैं, जिस वजह से हमें हर बात नकारात्मक ही लगने लगती है। जरूरी है कि आप किसी भी निष्कर्ष पर आने से पहले २ बार जरूर सोचें।
हम जैसे भी होते हैं अच्छे होते हैं, लेकिन कई बार आसपास की परिस्थितियों को देखते हुए हममें बहुत बदलाव आ जाता है। सही तरीका यह है कि, आप खुद को समझें और सवाल करें। सवाल के जवाब में आपके अंदर से जो जवाब आएगा, उसे अपनाएँ, क्योंकि यह जवाब आपको खुद का होगा।
जिंदगी में खुशियाँ बहुत ही ज्यादा जरूरी होती हैं, और हर इंसान को खुश रहने का अधिकार होता है। अधिकतर लोग ये दिखाते हैं कि वो खुश हैं, लेकिन उनकी खुशी असलियत से कोसों दूर रहती है। खुशहाली के लिए किसी इंसान को किस चीज़ की जरूरत होती है ? कई बार हम लोगों की खुशहाल तस्वीरें देखकर ही ये समझ लेते हैं कि हम बहुत ही ज्यादा खुश हैं, लेकिन ऐसा होता नहीं है। असल मायने में खुशहाली अंदर से आती है। कई शोध ऎसी की गई हैं जो बताती हैं कि खुशहाल रहने के लिए आपको किन चीज़ों की जरूरत होती है और क्या किया जाना चाहिए।
आपको एक चीज़ का ध्यान जरूर रखना है और वो है स्वस्थता। अगर आप शारीरिक स्वस्थता पर ध्यान देते हैं तो उसके कारण खुश रहते हैं। दरअसल, इसका ध्यान रखने पर ,निकलने वाला सामान्य हार्मोन ‘एंडोर्फिन’ ना सिर्फ शरीर को शांत करने में मदद करता है, बल्कि ये बहुत ही ज्यादा अच्छा भी साबित हो सकता है। इससे दिमाग खुश हो जाता है। दिमाग का तनाव करने के लिए शारीरिक स्वस्थता एक बहुत ही अच्छी तरकीब होती है।
ऐसे ही अगर आप अपने अनुभवों पर ज्यादा ध्यान देने लगेंगे, तब आपको खुशी मिलेगी। ऐसे लोग जो इन पर ज्यादा ध्यान देते हैं, जैसे घूमना, खेलना-कूदना, रिश्तेदारों-दोस्तों से मिलना आदि, वो ज्यादा खुश रहते हैं। नया टीवी, नई कार आदि कुछ ही दिन तक खुशी दे सकते हैं, लेकिन नया अनुभव जिंदगी भर के लिए रहता है।
ये कसरत अधिकतर शोध में बताई जाती है कि आपको सोशल मीडिया से कुछ समय का आराम लेना चाहिए। अगर उससे आराम नहीं लेंगे, तो खुश होना मुश्किल होगा। आप जितना समय इस पर बिताते हैं, तो पहले अन्य चीज़ों के बारे में सोचते हैं और ऐसे में आप अपनी समस्याओं के बारे में ज्यादा सोचते हैं।
गुस्सा प्रबंधन करना भी खुद को खुश रखने की पहली चाभी है, क्योंकि जब भी गुस्सा आता है तब हमारा पूरा शरीर तनाव में रहता है। ऐसे में ये जरूरी है कि हम अपने तनाव को कम करने के लिए किसी ना किसी तरह की चीज़ें करते रहें। गुस्सा आपको खुश नहीं होने देता, क्योंकि आप कहीं ना कहीं उसके बारे में सोचते रहते हैं। यही कारण है कि हम खुश हो नहीं पाते हैं।

ये उपाय दिखने में तो काफी छोटे हैं, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि ये असरदार नहीं हैं।

परिचय- डॉ.अरविन्द जैन का जन्म १४ मार्च १९५१ को हुआ है। वर्तमान में आप होशंगाबाद रोड भोपाल में रहते हैं। मध्यप्रदेश के राजाओं वाले शहर भोपाल निवासी डॉ.जैन की शिक्षा बीएएमएस(स्वर्ण पदक ) एम.ए.एम.एस. है। कार्य क्षेत्र में आप सेवानिवृत्त उप संचालक(आयुर्वेद)हैं। सामाजिक गतिविधियों में शाकाहार परिषद् के वर्ष १९८५ से संस्थापक हैं। साथ ही एनआईएमए और हिंदी भवन,हिंदी साहित्य अकादमी सहित कई संस्थाओं से जुड़े हुए हैं। आपकी लेखन विधा-उपन्यास, स्तम्भ तथा लेख की है। प्रकाशन में आपके खाते में-आनंद,कही अनकही,चार इमली,चौपाल तथा चतुर्भुज आदि हैं। बतौर पुरस्कार लगभग १२ सम्मान-तुलसी साहित्य अकादमी,श्री अम्बिकाप्रसाद दिव्य,वरिष्ठ साहित्कार,उत्कृष्ट चिकित्सक,पूर्वोत्तर साहित्य अकादमी आदि हैं। आपके लेखन का उद्देश्य-अपनी अभिव्यक्ति द्वारा सामाजिक चेतना लाना और आत्म संतुष्टि है।

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