ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’
अलवर(राजस्थान)
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मौत मुझे सहलाने लगी है,
धीरे-धीरे बरगलाने लगी है।
अंधेरों के साये में बेवजह,
वक्त-बेवक्त सताने लगी है।
मेरे कर्मों को बयां करके,
अब जग भरमाने लगी है।
क्या कुछ खोया क्या पाया,
याददाश्त अब आने लगी है।
कैसे बुझे विरह की अग्नि,
मर्म को मेरे जलाने लगी है।
बुलावा आ गया है शायद,
रुह भी अब घबराने लगी है॥
परिचय- ताराचंद वर्मा का निवास अलवर (राजस्थान) में है। साहित्यिक क्षेत्र में ‘डाबला’ उपनाम से प्रसिद्ध श्री वर्मा पेशे से शिक्षक हैं। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में कहानी,कविताएं एवं आलेख प्रकाशित हो चुके हैं। आप सतत लेखन में सक्रिय हैं।