कुल पृष्ठ दर्शन : 92

You are currently viewing सभी की ज़िन्दगी…

सभी की ज़िन्दगी…

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’
बिलासपुर (छत्तीसगढ़)
*********************************************

सभी की ज़िन्दगी होती, जगत में इक पहेली-सी।
अगर है वास्तविकता तो गुज़रती क्यों अकेली ही॥

सजा परिवार इस जग में, बना व्यवहार भी सबसे,
उमर भर मेहनतें करके, सजी जब ज़िन्दगी सुख से।
तभी ये छोड़ जाती क्यों, सभी को इक हठेली-सी,
किसी को साथ तो लेती…, चली जाती अकेली ही॥
सभी की ज़िन्दगी…

चलो माना, यही इक वास्तविकता इस जगत की है,
कहो कब ईश बिन ही भक्ति सजती किस भगत की है।
रची यह सृष्टि प्रभु जी ने, बनी मन की सहेली-सी,
सजाता ज़िन्दगी को मन, मिटा जाती अकेली ही॥
सभी की ज़िन्दगी…

मिला है जन्म उस जग में, जहाॅं भगवान जन्मे थे,
पिता-माता बहन-भाई, सभी हर एक मन में थे।
बिछड़ कर फिर नहीं मिलते, लगे खाली हथेली भी,
खबर बिन ही चली जाती किधर को ज़ां अकेली ही॥
सभी की ज़िन्दगी…

परिचय–हीरा सिंह चाहिल का उपनाम ‘बिल्ले’ है। जन्म तारीख-१५ फरवरी १९५५ तथा जन्म स्थान-कोतमा जिला- शहडोल (वर्तमान-अनूपपुर म.प्र.)है। वर्तमान एवं स्थाई पता तिफरा,बिलासपुर (छत्तीसगढ़)है। हिन्दी,अँग्रेजी,पंजाबी और बंगाली भाषा का ज्ञान रखने वाले श्री चाहिल की शिक्षा-हायर सेकंडरी और विद्युत में डिप्लोमा है। आपका कार्यक्षेत्र- छत्तीसगढ़ और म.प्र. है। सामाजिक गतिविधि में व्यावहारिक मेल-जोल को प्रमुखता देने वाले बिल्ले की लेखन विधा-गीत,ग़ज़ल और लेख होने के साथ ही अभ्यासरत हैं। लिखने का उद्देश्य-रुचि है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-कवि नीरज हैं। प्रेरणापुंज-धर्मपत्नी श्रीमती शोभा चाहिल हैं। इनकी विशेषज्ञता-खेलकूद (फुटबॉल,वालीबाल,लान टेनिस)में है।