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समय के सापेक्ष है ‘आसमां एक नया चाहिए’

पटना (बिहार)।

दुष्यंत के बाद हिंदी ग़ज़ल के बदलते तेवर को आज की युवा पीढ़ी ने जिस प्रकार स्वीकार किया है, उसकी परिणिति के रूप में डॉ. पंकज कर्ण की सम्पादित पुस्तक ‘आसमां एक नया चाहिए’ है। देश के ३२ युवा ग़ज़लकारों को लेकर प्रकाशित यह पुस्तक समय सापेक्ष है।
बंधु एंटरटेनमेंट द्वारा दिव्य आलेख के तत्वावधान में समकालीन हिंदी ग़ज़ल की २ पीढ़ियों का यह समागम राजा बाजार स्थित सभागार में हुआ, जहाँ हिंदी ग़ज़ल के बदलते माहौल पर चर्चा हुई और डॉ. पंकज कर्ण के सम्पादन में प्रकाशित पुस्तक ‘आसमां एक नया चाहिए’ के विमोचन कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रसिद्ध ग़ज़लकार प्रेम किरण ने यह बात कही।
लोकार्पणकर्ता चर्चित ग़ज़लकार अनिरुद्ध सिन्हा ने कहा कि, आज हिंदी ग़ज़ल लोकप्रिय विधा बन गई है। इसमें कही गई बात सीधे पाठकों के मन पर गहरा छाप छोड़ती है।
मुख्य अतिथि शायर रमेश कंवल ने कहा कि, ‘आसमां एक नया चाहिए’ के बहाने डॉ. कर्ण ने देश के युवा शायरों को एक संग्रह में संयोजित करने का बड़ा काम किया है।
विशिष्ट अतिथि श्वेतवर्णा प्रकाशन के निदेशक राहुल शिवाय रहे। स्वागत एवं विषय प्रवेश पुस्तक के सम्पादक डॉ. कर्ण ने कहा कि, पुरानी पीढ़ी से हासिल हिंदी ग़ज़ल की ज़मीन को जिस तरह आज की पीढ़ी ने अपनाकर ग़ज़लें कही हैं, वह इस बात का भरोसा देती है कि, हिंदी ग़ज़ल का भविष्य मजबूत हाथों में है।
समारोह के दूसरे सत्र में संजय कुंदन, नसीम अख्तर, समीर परिमल, शुभचन्द्र सिन्हा और अविनाश भारती आदि ने अपनी ग़ज़लों का पाठ किया।
संचालन अमन आकाश एवं विजय ने किया। धन्यवाद अविनाश बंधु ने व्यक्त किया।