प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला(मध्यप्रदेश)
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रामनवमी विशेष…
महाशक्ति है दिव्य, रामजी जो कहलाते।
हर पल ही जो भव्य, भक्त जिनको हैं भाते॥
प्रभुवर रखते ताप, सभी के दुख हैं हरते।
महिमा का विस्तार,पुष्प गरिमा के झरते॥
महाशक्ति है दिव्य, रामजी की है माया।
करना प्रभु उद्धार, बोझ यह नश्वर काया॥
तुम तो दीनानाथ, तुम्हीं हो सबके स्वामी।
मैं तो नित्य अबोध, दुर्गुणी, अति खल,कामी॥
महाशक्ति है दिव्य, हृदय में सबके रहते।
बनकर के उपहार, भक्ति में नित ही बहते॥
यह जीवन अभिशाप, दुखों ने डाला डेरा।
हे मेरे प्रभु राम !, मुझे पापों ने घेरा॥
महाशक्ति है दिव्य, उसी ने जगत बनाया।
कहीं रची है धूप, कहीं पर शीतल छाया॥
बाँटा है उजियार, रचा है मानवता को।
लेकर के अवतार, मारते दानवता को॥
महाशक्ति है दिव्य, जिन्हें हम रघुवर कहते।
बनकर जो शुभभाव, हमारे सँग नित रहते॥
वंदन करता विश्व, अवध में जो अवतारे।
संतों का उद्धार, अनगिनत पापी मारे॥
परिचय–प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे का वर्तमान बसेरा मंडला(मप्र) में है,जबकि स्थायी निवास ज़िला-अशोक नगर में हैL आपका जन्म १९६१ में २५ सितम्बर को ग्राम प्राणपुर(चन्देरी,ज़िला-अशोक नगर, मप्र)में हुआ हैL एम.ए.(इतिहास,प्रावीण्यताधारी), एल-एल.बी सहित पी-एच.डी.(इतिहास)तक शिक्षित डॉ. खरे शासकीय सेवा (प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष)में हैंL करीब चार दशकों में देश के पांच सौ से अधिक प्रकाशनों व विशेषांकों में दस हज़ार से अधिक रचनाएं प्रकाशित हुई हैंL गद्य-पद्य में कुल १७ कृतियां आपके खाते में हैंL साहित्यिक गतिविधि देखें तो आपकी रचनाओं का रेडियो(३८ बार), भोपाल दूरदर्शन (६ बार)सहित कई टी.वी. चैनल से प्रसारण हुआ है। ९ कृतियों व ८ पत्रिकाओं(विशेषांकों)का सम्पादन कर चुके डॉ. खरे सुपरिचित मंचीय हास्य-व्यंग्य कवि तथा संयोजक,संचालक के साथ ही शोध निदेशक,विषय विशेषज्ञ और कई महाविद्यालयों में अध्ययन मंडल के सदस्य रहे हैं। आप एम.ए. की पुस्तकों के लेखक के साथ ही १२५ से अधिक कृतियों में प्राक्कथन -भूमिका का लेखन तथा २५० से अधिक कृतियों की समीक्षा का लेखन कर चुके हैंL राष्ट्रीय शोध संगोष्ठियों में १५० से अधिक शोध पत्रों की प्रस्तुति एवं सम्मेलनों-समारोहों में ३०० से ज्यादा व्याख्यान आदि भी आपके नाम है। सम्मान-अलंकरण-प्रशस्ति पत्र के निमित्त लगभग सभी राज्यों में ६०० से अधिक सारस्वत सम्मान-अवार्ड-अभिनंदन आपकी उपलब्धि है,जिसमें प्रमुख म.प्र. साहित्य अकादमी का अखिल भारतीय माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार(निबंध-५१० ००)है।