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सर्वनेता मानव-विश्वास

दुर्गेश कुमार मेघवाल ‘डी.कुमार ‘अजस्र’
बूंदी (राजस्थान)
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विश्वास: मानवता, धर्म और राजनीति…


कौन-किसके विश्वास से ही,
यह जग बनता अमर धन ?

नभ-मही के बीच की माया,
चलती है बस उस भगवन।

‘अजस्र’ ऊपर से ऊपर तक,
जो सत्ता बढ़ती जाती है।

जन-तन शासन जगत का,
आत्मा बंधी है उस सृजन।

देख जमाना स्वार्थ पर चलता,
खुदगर्जी सबके भीतर।

जीवित को वो मार के छोड़े,
मरने पर ‘सागर’ ऊपर।

‘अजस्र’ हार भी जीत के है सम,
दुखियों को जो खुशी मिले।

पत्थर-फूल तुम्हें जो मिलने,
स्वार्थ छोड़ें उस पर निर्भर।

परहेज बताते दूजों को तो,
पेट भर के, खुद गुड़ खाते।

कथनियाँ-करनियाँ अनन्त भेद है,
खुद की जय खुद बुलवाते।

‘अजस्र’ आँखों से जो भी देखे,
भला एक है, अनेक अथाह।

उज्ज्वल सफेद से दिखते हैं पर,
छुपकर मछलियाँ वो खाते।

सब्ज-बाग और रेत के महलों,
किसका जीवन चलता है ?

पकवान बने हो आश्वासनों से,
कैसे कोई पेट भरता है ?

‘अजस्र’ जनता-जनतंत्र जो,
राजनीति और राज ऊपर।

मानवता को धर्म जिए जो,
सर्वनेता वो ही बनता है॥

परिचय–आप लेखन क्षेत्र में डी.कुमार’अजस्र’ के नाम से पहचाने जाते हैं। दुर्गेश कुमार मेघवाल की जन्मतिथि-१७ मई १९७७ तथा जन्म स्थान-बूंदी (राजस्थान) है। आप राजस्थान के बूंदी शहर में इंद्रा कॉलोनी में बसे हुए हैं। हिन्दी में स्नातकोत्तर तक शिक्षा लेने के बाद शिक्षा को कार्यक्षेत्र बना रखा है। सामाजिक क्षेत्र में आप शिक्षक के रुप में जागरूकता फैलाते हैं। लेखन विधा-काव्य और आलेख है,और इसके ज़रिए ही सामाजिक मीडिया पर सक्रिय हैं।आपके लेखन का उद्देश्य-नागरी लिपि की सेवा,मन की सन्तुष्टि,यश प्राप्ति और हो सके तो अर्थ प्राप्ति भी है। २०१८ में श्री मेघवाल की रचना का प्रकाशन साझा काव्य संग्रह में हुआ है। आपकी लेखनी को बाबू बालमुकुंद गुप्त साहित्य सेवा सम्मान-२०१७ सहित अन्य से सम्मानित किया गया है|