अजय जैन ‘विकल्प’
इंदौर(मध्यप्रदेश)
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कालिदास जयंती (४ नवम्बर) विशेष…
कवि महान
नाम है ‘कालिदास’
ज्योतिषी भी ये।
थे अनपढ़
मिला ‘काली’ आशीष
तो गए बढ़।
थे मंदबुद्धि
पत्नी ने भी धिक्कारा
बने विवेकी।
सरस भाषा
रचा खूब साहित्य
किया यूँ मुग्ध।
‘ऋतु संहार’
रचा ‘मेघदूत’ भी
‘शाकुंतलम्।’
संस्कृत ज्ञानी
है सर्वश्रेष्ठ कवि
कोई ना सानी।
जन्मे उज्जैन
परम्परा वाहक
रखा है ध्यान।
रचे नाटक
रचा महाकाव्य भी
थे एक रत्न।
रचा श्रंगार
विलक्षण प्रतिभा
प्रकृति प्यार।
थे आकर्षक
खूब पाई प्रसिद्धि
बने सर्जक॥