कुल पृष्ठ दर्शन : 545

You are currently viewing सुख-सुविधा

सुख-सुविधा

प्रो. लक्ष्मी यादव
मुम्बई (महाराष्ट्र)
****************************************

पिंटू और मोंटी मित्र थे, दोनों में घनिष्ठ मित्रता थी। मोंटी के पिता गाँव के सरपंच थे, और पिंटू किसान का बेटा था। पिंटू अपने पिता के साथ रोज सुबह ४ बजे उठता और उनके साथ खेत में काम करने में हाथ बंटाता। फिर उसके बाद वह शाला जाता, वहीं मोंटी आराम से उठता, कोई काम नहीं करता। मोंटी और पिंटू साथ में विद्यालय जाते। पिंटू काम करने के साथ-साथ पढ़ने में काफी होनहार बच्चा था, इधर मोंटी पढ़ने-लिखने में अत्यंत कमजोर और शरारती था। हमेशा किसी ने किसी विषय में अनुत्तीर्ण हो जाता। विद्यालय से हमेशा शिकायत आती, सभी शिक्षक परेशान थे। आए-दिन सरपंच जी को विद्यालय में बुलाया जाता और उसकी शिकायत होती। सरपंच जी भी बहुत परेशान हो गए, करें तो क्या करें, सब-कुछ किया। जिसने जो उपाय बताया, वह सब कुछ किया, परंतु मोंटी में कोई परिवर्तन नहीं आया।
एक दिन सरपंच भोर होते ही अपने कुल गुरु से मिलने उनके आश्रम चले गए। उन्होंने अपनी सारी समस्याओं को गुरु जी के समक्ष रखा। गुरुजी ने सारी बातों को ध्यान से सुना और कहा कि इसका उपाय मेरे पास है, लेकिन वह उपाय बहुत कठिन है। कर पाओगे ? सरपंच ने हामी भर दी।
गुरुजी बोले-उसे आप सारी सुख-सुविधाओं से वंचित कर दो, उसे साधारण जीवन व्यतीत करना होगा। अर्थात उसे ‘कम्फर्ट जोन’ से बाहर निकालो। थोड़ा कठिन है, पर नामुमकिन नहीं है।
गुरु जी के कहे अनुसार सरपंच पत्नी और बेटे मोंटी के साथ गाँव से दूर एक कुटिया में रहने लगे और साधारण जीवन व्यतीत करने लगे। सरपंच और पत्नी अपना काम स्वयं करने लगे। घर के सभी नौकरों को छुट्टी दे दी और मोंटी को भी अपने साथ छोटे-मोटे कार्य में शामिल करते। धीरे-धीरे कुछ साल बीत गए। अब मोंटी बड़ा हो गया, उसे सब समझ में आ गया कि, जीवन में कुछ हासिल करना है कुछ बनना है तो, हमें ‘कम्फर्ट जोन’ से बाहर निकलना होगा। मोंटी अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए बड़ी मेहनत और लगन से लग जाता है। उसे जो हासिल करना था, उसने अपने कठिन परिश्रम व मेहनत से हासिल किया और एक बहुत बड़ा अफसर बन जाता है।
कुछ दिनों बाद सरपंच परिवार के साथ अपने गाँव लौटते हैं। सभी बहुत ही खुश थे कि, वे अपने घर लौटे हैं। मोंटी और पिंटू दोनों मित्र मिलकर बहुत ही खुश होते हैं।

सीख-जब तक मनुष्य अपने आरामदायक क्षेत्र से बाहर नहीं निकलेगा, तब तक वह जीवन में कुछ भी हासिल नहीं कर सकता।