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सूर्य देव का सारथी

श्रीमती देवंती देवी
धनबाद (झारखंड)
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सूर्य देव का शुभ रथ, दिव्य ज्योति है भरी,
पूर्व दिशा में लालिमा, सूर्य देव की है प्रहरी।

पक्षीराज गरुड़ के बड़े भाई, बने हैं रथ के सारथी,
सूर्य देव के दर्शन के लिए, खड़े हैं निर्धन-महारथी।

सुशोभित हुआ सात अश्वों से रथ यश, वैभव भरे,
दर्शन पाते सूर्य देव के, हर गृहिणी नतमस्तक करे।

सभी अपने धर्म-कर्म में, लग गए हैं नर और नारी,
सूर्य के दर्शन पाते ही, दूर हो गई तन की बीमारी।

गंगाजल से अर्घ्य देने लगे, देव-धर्म के पुजारी,
निर्धन, दुखिया पथ में खड़े, बांझन और भिखारी।

अहोभाग्य सारथी का, जो सूर्य देव की सेवा करते हैं,
सातों श्वेत अश्व, सूर्य देव की सेवा में तत्पर रहते हैं।

धन्य हैं सारथी के महाऋषि पिता, जिनके वे लाल हैं,
सूर्यदेव के सारथी बनने का, सौभाग्य से यह कमाल है॥

परिचय– श्रीमती देवंती देवी का ताल्लुक वर्तमान में स्थाई रुप से झारखण्ड से है,पर जन्म बिहार राज्य में हुआ है। २ अक्टूबर को संसार में आई धनबाद वासी श्रीमती देवंती देवी को हिन्दी-भोजपुरी भाषा का ज्ञान है। मैट्रिक तक शिक्षित होकर सामाजिक कार्यों में सतत सक्रिय हैं। आपने अनेक गाँवों में जाकर महिलाओं को प्रशिक्षण दिया है। दहेज प्रथा रोकने के लिए उसके विरोध में जनसंपर्क करते हुए बहुत जगह प्रौढ़ शिक्षा दी। अनेक महिलाओं को शिक्षित कर चुकी देवंती देवी को कविता,दोहा लिखना अति प्रिय है,तो गीत गाना भी अति प्रिय है |