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‘सृजनिका’ ने कराया काव्य पाठ और विमर्श समारोह

मुम्बई (महाराष्ट्र)।

पत्रिका ‘सृजनिका’ की ओर से काव्य पाठ व विमर्श का आयोजन २९ मार्च को मुम्बई विवि के कलीना परिसर स्थित जे.पी. नाईक सभागार में किया गया। इसमें बड़ी संख्या में साहित्यकारों और विद्यार्थियों के समक्ष डॉ. दीपा, संतोष कुमार झा तथा राजेश कुमार सिन्हा ने अपनी काव्य पुस्तकों ‘दीपांजलि’, ‘फूल, कलम और बंदूक़’ एवं ‘मेरे ख़्वाबों का शज़र’ से कविताएँ सुनाईं।
इस कार्यक्रम की प्रस्तावना ‘सृजनिका’ के सम्पादके डॉ. अमरीश सिन्हा ने प्रस्तुत की। डॉ. दीपा की कविताओं की समीक्षा करते हुए हिंदुस्तान पेट्रोलियम की वरिष्ठ प्रबंधक आरती जड़िया ने कहा कि, इनकी रचनाएँ पढ़कर मैं बहुत भावुक हो गई। पिता के संबंधों की प्रगाढ़ता पर केंद्रित कविताओं को पढ़कर यह लगता है कि, डॉ. दीपा जैसी संवेदनशील कवयित्री अपनी भावनाओं के धरातल पर सरल भाषा में कविता रचती हैं, तो पाठक तुरंत स्वीकार कर लेते हैं।
आरती ने कहा कि, स्त्रियों की दशा और सोशल मीडिया के दुष्प्रभावों पर भी कवयित्री ने अपनी पुस्तक ‘दीपाँजलि’ में प्रवाहपूर्ण कविताएँ लिखी हैं। शिक्षाविद डॉ. दयानंद तिवारी ने संतोष कुमार झा की कविताओं पर कहा कि, ‘फूल, कलम और बंदूक़’ काव्य संग्रह में संकलित कविताएँ जीवन के विभिन्न पहलुओं को उत्कृष्ट ढंग से व्याख्यायित करती हैं। मुम्बई विवि के छात्र सर्वेश यादव ने राजेश कुमार सिन्हा के काव्य संकलन ‘मेरे ख़्वाबों का शज़र’ पर समीक्षा प्रस्तुत की।
इस अवसर पर शायर और ग़ज़ल गायक जब्बार हुसैन ने बेहतरीन अंदाज़ में अपनी ग़ज़ल सुनाई। कवयित्री श्वेता चतुर्वेदी की कविताओं को काफ़ी पसंद किया गया। शैलेश श्रीवास्तव ने होली पर विशेष गीत को उल्लसित अंदाज़ में गाकर मन मोह लिया। कवि उत्कर्ष के काव्य संग्रह ‘पूर्वाह्न’ का विमोचन किया गया।
जाने-माने मंच प्रस्तोता आनंद प्रकाश सिंह ने अनूठे अंदाज़ में कार्यक्रम का संचालन किया।