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स्नेह-सूत्र

रश्मि लहर
लखनऊ (उत्तर प्रदेश)
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ड्राइंग रूम में बैठे तन्मय को पत्नी कान्ता के खिलखिलाने की आवाज सुनाई दे रही थी। छोटी बहू और बड़ी पोती उसके साथ थीं। दोनों पैरों में फ्रैक्चर से पीड़ित कान्ता की हॅंसी में उसको पीड़ा का तनिक भी आभास नहीं हो रहा था।
उससे रहा नहीं गया तो, वह चुपके से कमरे में जाकर झाँकने लगा और पलभर के लिए ठिठक गया।
छोटी बहू मुस्कराते हुए कान्ता के सर में तेल लगा रही थी और कहती जा रही थी-
“कितनी शैतान थी मम्मी आप बचपन में!”
और कान्ता खिलखिला कर हॅंस रही थी। तब तक बड़ी पोती ने कान्ता को गाना गाने के लिए कह दिया और वो ख़ुद हँस-हँस कर डांस करने लगी।

तन्मय धीरे से बुदबुदाते हुए मुस्कुरा पड़ा! “कान्ता जब परिजनों की सेवा करने अपने कार्यालय से छुट्टी लेकर जाती थी, तब बाऊजी सही कहते थे, ये सबकी ऑंख का उजाला बनकर रहेगी!”