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हर ‘मत’ अतिमहत्वपूर्ण

गोवर्धन दास बिन्नाणी ‘राजा बाबू’
बीकानेर(राजस्थान)
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सभी जानते ही नहीं, मानते भी हैं कि, किसी भी तरह की प्रतियोगिता हो या चुनाव, वहाँ मतदान के माध्यम से निर्णय की स्थिति में पहुँचना सर्व हितकारी होता है। यानी १-१ मत अतिमहत्वपूर्ण होता है।
मतदाता का १-१ मत कीमती होता है, इसलिए ही ‘हर मत मायने रखता है, बताया जाता है। इसके बावजूद बहुत से लोग इस पर विश्वास नहीं करते और यहाँ तक सोचते हैं कि, उनके १ मत से वास्तव में कोई फर्क पड़ने वाला नहीं, जबकि इतिहास गवाह है कि, महज १ मत की हार से तख्तापलट हो गया, जीत हार में बदल गई। और तो और सिर्फ १ मत से सरकार गिरी, राजाओं की गद्दी गई… और हिटलर पदासीन हो गया।
इतिहास ऐसे उदाहरणों से भरा पड़ा है, जहाँ १ मत ने पूरी बाजी पलट दी थी। देश में ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व में समय-समय पर ऐसे उदाहरण मिलते रहे हैं। अतः जब भी, जहाँ भी, आपको मत देने का अधिकार है, वहाँ आप बिना चूके, अपने मताधिकार का प्रयोग अवश्य करें।
उपरोक्त तथ्य से सम्बंधित कुछ रोचक जानकारियाँ, जो केवल १ मत के चलते किसी की हार का सबब बनी, तो दूसरी तरफ किसी की जीत का। इसलिए मतदान अवश्य करें…-
🔷 क्योंकि १७७६ में अमेरिका में १ मत ज्यादा मिलने से जर्मन भाषा के स्थान पर अंग्रेज़ी राज भाषा बनी।
🔷 क्योंकि १८०० में थॉमस जेफरसन को इलेक्टोरल कॉलेज में बराबरी के बाद प्रतिनिधि सभा में १ मत से राष्ट्रपति चुना गया था।
🔷 क्योंकि १८२४ में एंड्रयू जैक्सन राष्ट्रपति पद के लिए जॉन क्विंसी एडम्स से १ मत से हार गए।
🔷 क्योंकि १८४६ में मैक्सिको के खिलाफ युद्ध की घोषणा के लिए राष्ट्रपति पोल्क का अनुरोध भी १ मत से पारित हुआ।
🔷 क्योंकि १८६८ में राष्ट्रपति एंड्रयू जॉनसन पर महाभियोग लगाया गया, लेकिन उन्हें दोषी नहीं ठहराया गया, क्योंकि सीनेट आवश्यक २ तिहाई से १ मत पीछे थी।
🔷 क्योंकि १८७५ में फ्रांस में मात्र १ मत से राजतन्त्र के स्थान पर गणतन्त्र आया।
🔷 क्योंकि १८७६ में १९वें
अमेरिकी राष्ट्रपति पद के लिए हुए चुनाव में रदरफोर्ड बी हायेस ने १८५ मत हासिल किए, जबकि सैमुअल टिलडेन को १८४ मिले थे।
🔷 क्योंकि १९१७ में सरदार पटेल अहमदाबाद नगर पालिक निगम का चुनाव मात्र १ मत से हार गए थे।
🔷 क्योंकि १९२३ में १ मत ज्यादा मिलने से हिटलर नाजी पार्टी का प्रमुख बना और हिटलर युग की शुरुआत हुई।
🔷 क्योंकि १९४१ में कांग्रेस ने १ अधिक मत के चलते चयनात्मक सेवा अधिनियम के सक्रिय-सेवा घटक को १ वर्ष से ढाई वर्ष तक संशोधित किया।
🔷 क्योंकि १९६२ में मेन, रोड आइलैंड और नॉर्थ डकोटा के गवर्नर प्रति क्षेत्र औसतन १ मत से चुने गए।
🔷 क्योंकि १९७७ में श्री निक्सन प्रतिद्वंद्वी रॉबर्ट एमॉन्ड से ५७२ के मुकाबले ५७१ मत प्राप्त करके भी हार गए थे।
🔷 क्योंकि १९९४ में आम चुनाव में डाले गए २१६,६६८ मतों में से अलास्का में प्रति क्षेत्र १.१ मतों ने टोनी नोल्स को गवर्नर और फ्रैन उलमर को लेफ्टिनेंट गवर्नर के रूप में चुना।
🔷 क्योंकि १७ अप्रैल १९९९ को सिर्फ १ मत से अटल जी की सरकार गिर गई थी। अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में २७० और खिलाफ २६९ मत पड़े थे।
🔷 क्योंकि २००४ में कर्नाटक विधानसभा चुनाव में जेडीएस के उम्मीदवार ए.आर.कृष्णमूर्ति भी सिर्फ १ मत से हार गए थे।
🔷 क्योंकि २००८ में राजस्थान की नाथद्वारा सीट से सी.पी. जोशी मात्र १ मत से चुनाव हार गए थे।
🔷 क्योंकि २००८ में स्टॉकटन, कैलिफोर्निया: स्टॉकटन यूनिफाइड स्कूल ट्रस्टी एरिया नम्बर ३ सीट १ मत से जीती गई। जोस मोरालेस को २३०२, जबकि एंथोनी सिल्वा को २३०१ मत मिले।
🔷 क्योंकि २०१७ के राज्य सभा चुनाव में कड़े मुकाबले के बाद कांग्रेस उम्मीदवार अहमद पटेल आधे मत से जीते थे।
इसलिए, लोकतान्त्रिक व्यवस्था में, चाहे देश चलाने के लिए हो या किसी भी तरह की संस्था चलाने के लिए मतदान द्वारा दायित्व सौंपा जाता है। मतदान आवाज और अवसर देता है। शक्ति को नियंत्रण में रखने में मदद करता है। मतदान लोकतंत्र की नींव है। मतदान जिम्मेदार और उत्तरदायी व्यवस्था के विकास को बढ़ावा देता है।अतः, मतदान मतदाताओं का एक कारगर अधिकार है। इसलिए, जागरूक बनें और बिना किसी दबाव, प्रलोभन के हर हालत में अपने मताधिकार का उपयोग भूले बिना अवश्य करें, क्योंकि आपका १ मत आमूलचूल परिवर्तन में सहायक हो सकता है।
साहित्यकार कैलाश अग्रवाल ‘बेगाना’ की सारे तथ्यों को समेटे उक्त २ पंक्तियाँ-
‘योग्य व कर्मठ को ही,
अपना ‘अमूल्य मत’ देना।
लोभी या लालची को तो, भूलकर भी जिता न देना॥’