एम.एल. नत्थानी
रायपुर(छत्तीसगढ़)
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कुछ शब्द इसलिए जन्मे,
उनसे स्पर्श कर सकते हैं
उज्जवल धवल अस्तित्व,
में विमर्श कर सकते हैं।
स्पर्श की आत्मीयता ही,
मन को सराबोर करती है
संजीवनी बूटी बनकर ही,
यह भाव-विभोर करती है।
व्यथित हृदय अपनत्व से,
स्नेह स्पर्श को जानता है।
उत्साह-उमंग के साथ ही,
जीवन मधुबन बनाता है॥