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मायने रखते हैं बिहारी भी,अपमान अनुचित

गोपाल मोहन मिश्र
दरभंगा (बिहार)
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गलवान की घाटी में माँ भारती की रक्षा करते हुए बिहार रेजिमेंट के २० योद्धा लड़ते-लड़ते शहीद हो गये। भारतीय संविधान को लिखने की अंग्रेजों की चुनौती को स्वतंत्र भारत के प्रथम महामहिम स्व. डॉ.राजेन्द्र प्रसाद ने विजयी अंदाज में स्वीकार किया,जो ठेठ बिहारी थे। ऐसा बिहार जो कभी भी भारत और आर्यावर्त को ही अपना गाँव,राज्य,देश और माता समझ आदर्शों को बिना शर्त माना। माँ सीता,कौटिल्य,भगवान बुद्ध, महावीर,सम्राट अशोक और ना जाने कितने सपूतों के साथ,हजारों वर्षों से भारत माता की आँचल को ही अपना सब-कुछ मानने वाले लोग,जिनकी सांस्कृतिक समृध्दि की गाथा कश्मीर से कन्याकुमारी और कामरूप से कच्छ तक को एक बंधन में पिरो कर रखा,ऐसे बिहारियों का जिस तरह से आज अपने क्षद्म राजनीतिक स्वार्थ के कारण अपमान किया जा रहा है,ये ठीक नहीं है।
दिल्ली सरकार की राजनीति में बिहारियों का अपमान,महाराष्ट्र सरकार की राजनीति में बिहारियों का अपमान या फिर पश्चिम बंगाल सरकार की राजनीति में बिहारियों का अपमान क्यों हो रहा है ? सुशांत सिंह जैसे निर्मल और तेजस्वी युवा कलाकार का क्या सिर्फ यही दोष था कि,बिहारी होने का अपमान उन्हें सहना पड़ा ? मरणोपरांत भी बिहारी होने का जो दंश,उनकी आत्मा को दिया जा रहा है,ये महाराष्ट्र के नीति-नियंताओं को शोभा नहीं देता I
महाराष्ट्र की भूमि वीरों और संतों की रही है, पर आज राजनीतिक स्वार्थ के कारण लोकशाही के नाम पर जाति,प्रदेश और पंथ के सहारे भारत की महान संवैधानिक परम्परा की धज्जियाँ उड़ाई जा रही हैं,ताकि सदैव महाराजाओं की तरह वंशानुगत व्यवस्था चलती रहे। इतिहास गवाह है,जिसने भी ऐसे बीज के सहारे अपना भविष्य लिखा, उनके नामो-निशान तक नहीं रहे।
बिहारियों से इतनी नफरत क्यों है ? इन बिहारियों ने ऐसा क्या किया जिसे आप पचा नहीं पा रहे हैं ? अपनी मिट्टी का कलेजा चीर कर इसी बिहार ने लोहा,तांबा,अभ्रक, बाक्साईट,यूरेनियम जैसे अमूल्य खनिज संपदाओं से आधुनिक भारत की नींव रखी, क्या ये गलती की ? अपने कंधों पर बोझ उठाकर मुंबई और दिल्ली जैसे शहरों की संरचनात्मक रीढ़ तैयार की,क्या ये अपराध था ? या फिर इतनी सहनशीलता,तेजस्विता और कर्मठता से जलन होती है ? क्या आप विदर्भ को महाराष्ट्र नहीं मानते ? या फिर किसी की ईमानदारी और कर्मठता आपकी परेशानी है ? महाराष्ट्र का महान सांस्कृतिक समाज बड़ी ही समझदारीपूर्वक इन सारे कृत्यों को देख रहा है।

५० पुलिसकर्मियों के बीच संतों की निर्मम हत्या कर दी गई,सुशांत सिंह जैसे राष्ट्रभक्त अभिनेता की संदेहास्पद मृत्यु हो जाती है और आप न्याय दिलाने के नाम पर क्षेत्रवाद की राजनीति को हवा दे रहे हैं। बिहारी इन मामलों का न्याय चाहते हैं,जिससे लगे कि हाँ क्षत्रपति शिवाजी महाराज और बाबा साहब भीमराव आम्बेडकर जैसे न्यायविद क्षत्रप की ये भूमि हैl और हाँ,एक बात याद रखना कि बिहार ने अपना बलिदान हिंदुस्तान के लिए दिया है,जिसमें महाराष्ट्र भी है और बिहार भी। जिस दिन हमारे हिंदुस्तान पर आँच आएगी,उस दिन हम अपना बलिदान देकर भी इस राष्ट्र की रक्षा जरूर करेंगे। जय हिंद! जय हिंदुस्तान!

परिचय–गोपाल मोहन मिश्र की जन्म तारीख २८ जुलाई १९५५ व जन्म स्थान मुजफ्फरपुर (बिहार)है। वर्तमान में आप लहेरिया सराय (दरभंगा,बिहार)में निवासरत हैं,जबकि स्थाई पता-ग्राम सोती सलेमपुर(जिला समस्तीपुर-बिहार)है। हिंदी,मैथिली तथा अंग्रेजी भाषा का ज्ञान रखने वाले बिहारवासी श्री मिश्र की पूर्ण शिक्षा स्नातकोत्तर है। कार्यक्षेत्र में सेवानिवृत्त(बैंक प्रबंधक)हैं। आपकी लेखन विधा-कहानी, लघुकथा,लेख एवं कविता है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित हुई हैं। ब्लॉग पर भी भावनाएँ व्यक्त करने वाले श्री मिश्र की लेखनी का उद्देश्य-साहित्य सेवा है। इनके लिए पसंदीदा हिन्दी लेखक- फणीश्वरनाथ ‘रेणु’,रामधारी सिंह ‘दिनकर’, गोपाल दास ‘नीरज’, हरिवंश राय बच्चन एवं प्रेरणापुंज-फणीश्वर नाथ ‘रेणु’ हैं। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“भारत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शानदार नेतृत्व में बहुमुखी विकास और दुनियाभर में पहचान बना रहा है I हिंदी,हिंदू,हिंदुस्तान की प्रबल धारा बह रही हैI”

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