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जागते एहसास

डॉ. रीता कुमारी ‘गामी’
मधुबनी (बिहार)
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गुमसुम-गुमसुम रहनेवाला,
नहीं हँसने,नहीं रोनेवाला
टुकुर-टुकुर आँखों से…
नील गगन निहारा करता,
नजरें मिल जाने पर
मौन-विद्रोह किया करता।
गूढ़ रहस्य…!!!
इन दिनों क्यों उछल रहा है,
खेलता,खिलखिला रहा है
उधम उतना ही मचा रहा है,
मुझे देख-देख मुस्कुरा रहा है!
अपना आशियाना,नाते-रिश्तेदार,
अपनी मनमानी,अपनी शैतानी
अपना कर्तव्य,अपना अधिकार,
तो भी…तुम…उदास…उदास!
जागो!…जगाओ एहसास,
सोचो! मैं कैसे…तुम्हारे पास ?
प्रथम प्रभाती,पहल की मैंने,
मन का सूरज,जगा लिया मैंने!
आज दरवाजा,खोल दिया मैंने,
परिंदा पिंजरे का,उड़ा दिया मैंने॥

परिचय-डॉ. रीता कुमारी का साहित्यिक उपनाम ‘गामी’ है। आपका वर्तमान पता घोघरडीहा एवं स्थाई निवास जिला-मधुबनी (बिहार) में है। १८ फरवरी १९८३ को जन्मी रीता कुमारी को हिन्दी,मैथिली,अंग्रेजी भाषा का ज्ञान है। आपकी शिक्षा-नेट,पी-एच.डी.(हिन्दी),बी.एड. व एम.ए. (शिक्षा) में है। इनका कार्यक्षेत्र-अध्यापन है,जबकि सामाजिक गतिविधि के अन्तर्गत ग्रामीण छात्राओं को प्रेरित एवं आर्थिक मदद करती हैं। लेखन विधा-कविता,कहानी,लेख है। कई अखबारों में रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं। डॉ. कुमारी की लेखनी का उद्देश्य-समसामयिक समस्याओं के प्रति लोगों को जागरूक करना है। पसंदीदा लेखक-रामधारी सिंह ‘दिनकर’ एवं प्रेरणापुंज-गुरु डॉ. विनोद कुमार सिंह हैं। आपका जीवन लक्ष्य-स्वयं और समाज को जागरूक करना है। देश और हिन्दी भाषा के प्रति विचार-“देश और हिन्दी यानी ललाट और बिन्दी। दोनों की चमक बनी रहे,इसके लिए हमें समर्पित भाव से सेवा करनी चाहिए ।

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