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सही उपयोग करो जल का

प्रिया देवांगन ‘प्रियू’
पंडरिया (छत्तीसगढ़)
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धरती सब सूख गयी,
कहाँ से हरियाली आएगी ?
बूंद-बूंद पानी को तरसे,
कैसे हरियाली छाएगी ?

जगह-जगह पर खुदे कुआँ,
जगह-जगह गडढे किए।
धरती माता रूठ गयी,
कहाँ से जल लाएगी॥

सही उपयोग करो जल का,
जल को तुम बचाओ।
जल जीवन का आधार है,
व्यर्थ मत गँवाओ॥

गर्मी के दिनों में तुम,
प्यासे को जल पिलाओ।
एक कटोरा जल रख कर,
पंछी की प्यास बुझाओ॥

सूख रहे सब नदी-तालाब,
भटक रहे पंछी सारे।
जल का सही उपयोग करके,
जीवन सबका बचाओ प्यारे॥

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