कल्पना शर्मा ‘काव्या’
जयपुर (राजस्थान)
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वसंत पंचमी स्पर्धा विशेष …..
आया वसंत,आया वसंत,
ज्ञान और उल्लास संग।
लाया खुशियाँ अनंत,
आया वसंत,आया वसंत॥
नीकी लागे कोयल काली,
कूके बैठके अमवा की डाली।
पीली सरसों धरती की आभा,
चमके है रज कण-कण।
लिए मन में मोद तन में उचंग,
आया वसंत…॥
धरा हो रही पीताम्बरा,
प्रगट हुई है श्वेताम्बरा।
ॠतुओं में प्रिय मधुमास,
देता ज्ञान और उल्लास।
चहुँ दिशि बाजे ढोल-मृदंग,
आया वसंत…॥
वासंती वर्ण आभूषण,
भामिनी करे अंग में धारण।
बिखरी पुष्प अधर मुस्कान,
निहारत निज मुख दर्पण।
आतुर है मन मिलन प्रिय कंत,
आया वसंत…॥
खेतों में खिल रही धूप,
माँ शारदा का प्रकट रूप।
वृक्ष पल्लवित हुए,
बीज अंकुरित हुए।
मानो जड़ भी हुआ जीवंत,
आया वसंत…॥
कोई किसी से वैर न ठाने,
आत्मवत् सबको सब माने।
द्यौ धरा पावक अनिल जल,
पंचतत्व रची सृष्टि सकल।
ज्ञान का दीप करो ज्वलंत,
आया वसंत…॥
‘काव्या’ दे रही संदेश,
उल्लास भर मन में।
नर-नारी सब नाचें,गाते,
आया वसंत,आया वसंत॥