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खिल उठता है वन

अर्चना पाठक निरंतर
अम्बिकापुर(छत्तीसगढ़)
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काव्य संग्रह हम और तुम से….

सड़कों,बागों और घाटियों में,उदास पत्ते झड़ने लगे,
मैं अकेली मन अजीब,उदास मौसम बदलने लगे।
बेचैन बाँसुरी की मुखर अभिव्यक्ति अमूर्त बिम्ब उकेरते,
मन के निर्मल आकाश में,इन्द्रधनुषी अनुपम छटा बिखेरते।

मदमस्त घटा छाई है,मधुमास आते ही खिल उठता है वन,
कोयल गाती मधुर स्वर,कहती-सुनो बसंत का मद्धिम मन।
हर्ष भरा नवोत्कर्ष छाया,अब वीणा साँसों की तार छेड़ती,
वन उपवन राग स्वर तोल,फागुन में फाग होली के खेलती।

खेतों-खेतों हँसती सरसों,छेड़ रही गेहूँ की पसरी हुई बाली,
जाने किसको करे इशारे,मिलना कल परसों बजा के ताली।
लाल हुआ गुलमोहर गाल जैसे शर्माई, आया मिलन का दिन।
कली-कली मुस्कुरा रही,जीवन में कुछ भी नहीं तुम बिन।

कोई किसी को माने मणि,तो कोई किसी का मोती है,
दो दिलों के मिलन का दिन,तब खुशियाँ अपार होती हैं।
यहाँ का मौसम है प्यार का,रंग जमा रहता सदा बहार का,
अपना-सपना ऐसे संसार का,बातें हो खुशियों के इजहार का।

अपने सपनों के गुलशन में,कोई पिंजरा कोई जाल नहीं,
कड़वी सच्ची अनुभूतियों में,काँटा चुभने का मलाल नहीं।
बुलबुल बाग के वीराने में रमी है,बहारों में जाने क्या कमी है,
हर कली आँखों की चुराती नमी है,कई परत काजल जमी है।

इस फागुन में फूलों की बात होगी,रंग खुशबू सौगात होगी,
मंगलमय भोर सुनहरे दिन होंगे,तारों भरी गीतों से रात होगी।
बस चहुँओर यहाँ,अवनी-अम्बर तक खुशियों की बारात होगी।
हम और तुम हों न हों,हमारी प्रेम कहानी की सदा बात होगी॥

परिचय-अर्चना पाठक का साहित्यिक उपनाम-निरन्तर हैL इनकी जन्म तारीख-१० मार्च १९७३ तथा जन्म स्थान-अम्बिकापुर(छत्तीसगढ़)हैL वर्तमान में आपका स्थाई निवास अंबिकापुर में है। हिन्दी,अंग्रेजी और संस्कृत भाषा जाने वाली अर्चना पाठक छत्तीसगढ़ से ताल्लुक रखती हैंL स्नातकोत्तर (रसायन शास्त्र),एलएलबी सहित बी.एड. शिक्षा प्राप्त की हैL कार्यक्षेत्र-नौकरी(व्याख्याता)हैL सामाजिक गतिविधि के निमित्त बालिका शिक्षा के लिए सतत प्रयास में सक्रिय अर्चना जी साहित्यिक संस्थाओं से जुड़ी हुई हैंL इनकी लेखन विधा-कविता,कहानी, लेख,गीत और ग़ज़ल हैL प्रकाशनाधीन साझा संग्रह हैL पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित हुई है तो आकाशवाणी(अंबिकापुर) से कविता पाठ का निरन्तर प्रसारण होता है। आपको प्राप्त सम्मान में साहित्य रत्न-२०१८,साहित्य सारथी सम्मान- २०१८ और कवि चौपाल शारदा सम्मान हैL इनकी लेखनी का उद्देश्य-समसामयिक समस्याओं को उजागर कर समाजसेवा में भागीदारी अपनी लेखन कला का विकास एवं सक्रियता बनाये रखना है। आपकी पसंदीदा हिंदी लेखक-श्रीमती महादेवी वर्मा है,तो प्रेरणा पुंज-माता-पिता हैं। अर्चना जी का सबके लिए संदेश यही है-मन की सुनते जाओ,जो तुमको अच्छा लगता हो वही करो,जबरदस्ती में किया गया कार्य खूबसूरत नहीं होता है। विशेषज्ञता-कविता लेखन है।

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