हिंदी मेरी जाँ

मीरा सिंह ‘मीरा’बक्सर (बिहार)******************************* हिन्दी संग हम (१४ सितम्बर) विशेष... हिंदी मेरी माँ लगती है,हिंदी मेरी जाँ लगती है। हिंदी है भारत की भाषा,सारे जग की है यह आशा। हिंदी…

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पिता-ईश्वर का फरिश्ता

ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’अलवर(राजस्थान)*************************************** खून का रिश्ता है,मेरे पितामेरे लिए,ईश्वर का फरिश्ता है। दुःख हो,सुख होसदा प्रेम रिसता है,पिता है तोसब-कुछ है,वर्ना तो नीरसता है। टिकता नहीं,दुश्मन कोईजब वो गरजता है।उन्हीं…

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सत्यवादी भारतीय

श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)******************************************* सत्यवादी भारतीय रक्षा के लिए, सदैव खड़े रहते हैं सीमा पर,भारतीयों से सावधान रहो दुश्मनों, वरना गोली खाओगे सीने पर। हम सब हैं हिन्दुस्तानी, सभी हिन्द…

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पेंशन-पीड़ा

संजय सिंह ‘चन्दन’धनबाद (झारखंड )******************************** वृद्धा अवस्था, विधवा पेंशन, छात्रवृत्ति, सेवानिवृति,सेना, श्रमिक, किसान, अधिकारी, मंत्री, सांसद-विधायक पेंशन की है आवृत्तिकहीं है उठती आवाजें 'एक रैंक एक जीवन भत्तावृत्ति',कहीं उठ रही…

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चलो चलना जिंदगी है…

ममता तिवारी ‘ममता’जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** ओ! ठहरे हुए तुम पानी,मत करना अब नादानी।जो थमा तो गंदगी है,चलो चलना जिंदगी है…॥ भीड़ हो बेशक्ल बेढब,या नीड़ रहे तन्हा जबलेता दिल हमसे पंगा,होते रहता…

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रिश्तों की अहमियत

ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’अलवर(राजस्थान)*************************************** लोग,अक्सर रिश्तों कीदुहाई देते हैं,और खुद हीरिश्तों की अहमियत,भूल जाते हैंबड़ी विडम्बना है,गैरों के सामनेअपनों को भूल जाते हैं,और खुश रहने काख्वाब सजाते हैं,पर शायद…वो ये नहीं…

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आधुनिक हिन्दी के जनक भारतेंदु हरिश्चंद्र

संजय सिंह ‘चन्दन’धनबाद (झारखंड )******************************** जयंती (९ सितम्बर) विशेष.... अवधी-ब्रज बेमेल का हिन्दी में किया था मेल,काशी के हरिश्चंद्र का भारत में हिन्दी प्रयोग व खेलआशीष बाबा विश्वनाथ का पाकर…

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सबमें तुम्हीं समाए

डॉ. कुमारी कुन्दनपटना(बिहार)****************************** सुना है सबमें तुम्हीं समाए,बात ये कैसी समझ के पार।दुखिया मन, विवश पड़ी है,हो गयी दर्शन को बेकरार।चरण कमल की शरण में,कान्हा, आई मैं तेरे द्वार। समझ…

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श्रीकृष्ण अवतार

श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)******************************************* आ गया भादो का महीना,घर-घर होने लगा है शोरश्रीकृष्ण का जन्म हुआ,नाचने लगा वन में मोर। श्रीकृष्ण जी गजब ढाए,लाए काली घटा घनघोरदेव लोक से आ…

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संगीत निराला संध्या का

कमलेश वर्मा ‘कोमल’अलवर (राजस्थान)************************************* संगीत निराला संध्या का,कतार बन गई पंछियों कीचहचहाकर जब जाने लगे,अपने नीड़ों की ओर सब पंछी। राह देख रहे नीड़ों में बच्चे,मुँह को खोल भोजन पानेशाम…

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