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पिता-ईश्वर का फरिश्ता

ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’
अलवर(राजस्थान)
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खून का रिश्ता है,
मेरे पिता
मेरे लिए,
ईश्वर का फरिश्ता है।

दुःख हो,
सुख हो
सदा प्रेम रिसता है,
पिता है तो
सब-कुछ है,
वर्ना तो नीरसता है।

टिकता नहीं,
दुश्मन कोई
जब वो गरजता है।
उन्हीं के,
आशीर्वाद से
मेरा जीवन महकता है॥

परिचय- ताराचंद वर्मा का निवास अलवर (राजस्थान) में है। साहित्यिक क्षेत्र में ‘डाबला’ उपनाम से प्रसिद्ध श्री वर्मा पेशे से शिक्षक हैं। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में कहानी,कविताएं एवं आलेख प्रकाशित हो चुके हैं। आप सतत लेखन में सक्रिय हैं।