ईर्ष्या

गोपाल मोहन मिश्रदरभंगा (बिहार)***************************************** ईर्ष्या वहाँ नहीं होती है जहाँ प्रेम होता है,हृदय जब प्रेम से भरा हुआ होता हैजिस हृदय में प्रेम नहीं होता है,उस हृदय को ईर्ष्या अपना…

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जनहित सार लिखें

आशा आजाद`कृतिकोरबा (छत्तीसगढ़)**************************** स्वच्छ ज़मीन-स्वच्छ असमान... स्वच्छ रखें शुभ वसुंधरा यह कविवर जनहित सार लिखें,प्राणयुक्त जीवन दाता का गुण अनुपम आधार लिखें। मैली होती निसदिन गंगा मनुज स्वार्थ निज ध्येय…

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स्वच्छ दमके धरा और आसमान

डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’जमशेदपुर (झारखण्ड)******************************************* स्वच्छ जमीन और स्वच्छ आसमान... कराहती धरती माँ करती पुकार,जरा देखो मुझे मेरी संतानोंअपने हृदय के प्यार से,अपनी चक्षु की नमी सेकब समझोगे मेरा प्रेम,जो…

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हर पल विकासवान अपना नव भारत हो

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)************************************ स्वच्छ ज़मीन-स्वच्छ आसमान... स्वच्छ हो ज़मीन और स्वच्छ आसमान हो,स्वच्छ जल प्रपात सभी स्वच्छ वायु त्राण होस्वच्छ पंच तत्व रहें स्वच्छ मनुज प्राण हों,स्वच्छता ही स्वच्छता का सुन्दर…

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चिरागों का समन्दर

ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’अलवर(राजस्थान)*************************************** उतर रही है स्वर्ण किरणें,आसमां थम सा गया हैखोल दिया है रजनी ने पट,सितारों ने रंग घोल दिया है। ढूंढ रहीं हैं थकी-सी निगाहें,प्रियतम जाने कहां छिपा…

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प्रखर कबीर

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* सद्गुरु प्रखर कबीर थे, दे जग को आलोक।परे किया अज्ञान का, फैला था जो शोक॥ ऊँच-नीच के भेद को, किया सभी से दूर।हे! कबीर गुरुदेव तुम,…

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कौन सुनेगा धरा की गुहार ?

संजय वर्मा ‘दृष्टि’ मनावर(मध्यप्रदेश)**************************************** स्वच्छ जमीन-स्वच्छ आसमान... आसमान दिखता था कभी स्वच्छ,अब फैलते प्रदूषण से हो रहा धुंधलाजबसे खफा होकर,एक तारा टूटाआँसमा से,धरती पर आते हीहो गया ओझल।ये वैसा ही लगा,जैसे…

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ये तो नाइंसाफी है

हेमराज ठाकुरमंडी (हिमाचल प्रदेश)***************************************** बेतरतीब भभकती एक आग को देखा,उसमें सुलगते नफरत के अंगारे देखेहिन्दू-मुस्लिम की उसमें ज्वालाएं देखी,फिर भी लोगों में आपसी भाईचारे देखे। कुछ लोग लगे हैं बस…

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संभालो जरा

अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर(मध्यप्रदेश)****************************************** स्वच्छ जमीन-स्वच्छ आसमान... स्वर्ग-सी धराजीव की साँस यहीसंभालो जरा। पर्यावरणअनमोल है वायुन हो क्षरण। ये पंचतत्वकरें जरा सचेतयही अस्तित्व। ये प्रदूषणमिटा देगा सबकोनिभाओ धर्म। जल जीवनयूँ सेहत…

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मिलता नहीं…

दिनेश चन्द्र प्रसाद ‘दीनेश’कलकत्ता (पश्चिम बंगाल)******************************************* हम जो चाहते हैं हमें वो मिलता नहीं,हमें जो मिलता है, वो हम चाहते नहीं। फिर भी उम्मीद पर जीती है ये दुनिया,चाहें सब…

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