पहला शब्द बोला था ‘माँ’…

संजय वर्मा ‘दृष्टि’ मनावर(मध्यप्रदेश)**************************************** माँ बिन…! मीठी लोरी माथे पर थपकी,अपलक निहारने नींद को बुलानेआ जाने पर नरम स्पर्श से,माथे को चूमनामेरी तोतली जुबान पर मुस्कुराती माँ,क्योंकि, मैंने तुतलाती जुबान सेपहला…

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महकाओ रिश्तों की खुशबू

श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)******************************************* जिस रिश्ते में पूर्ण एकता होती है,सही मायने में वही सही रिश्ता हैरिश्तों की खुशबू, जब मिलती है,सन्त जान जाते हैं, सही रिश्ता है। रिश्ते में…

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माँ है तो, सब-कुछ

ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’अलवर(राजस्थान)*************************************** माँ बिन…! माँ बिन कैसे जी पाऊंगा,माँ ममता की खान हैमाँ ही मर्म स्नेह स्पंदन,माँ ही मेरा ज़हान है। कितनी भी हो मुश्किल,वो हर ग़म भुला देती…

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माँ बिन कौन सुनेगा टेर !

कवि योगेन्द्र पांडेयदेवरिया (उत्तरप्रदेश)***************************************** माँ बिन…! तेरे आँचल के छाँव तले,सुख मिले तुम्हारे पाँव तलेमाँ की ममता से पुलकित हो,अंधकार हो जाए ढेर।माँ बिन कौन सुनेगा टेर…॥ तुम कभी राम…

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माँ तुम-सा कहाँ ढूंढूं मैं!

डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’जमशेदपुर (झारखण्ड)******************************************* माँ बिन…! 'मातृ दिवस' क्यों एक दिन ?हर दिन है माता को अर्पण। कौन भर पाए तुम्हारी कमी,तुम-सा कहाँ ढ़ूंढूं इस धरा पर। तुम ममता…

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माँ की पुकार

डोली शाहहैलाकंदी (असम)************************************** माँ बिन…! रहते जब बच्चे नन्हें हमारे,रखते गोद में सहला करपुचकार कर थे बचाते,उन्हें हर मुश्किल-दीवारों से। हुए थोड़े जब बड़े,चलना सिखाया उंगली पकड़करगिरते-उठते हुए संभलते,आज बने…

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माँ अवतार

डॉ.अशोकपटना(बिहार)********************************** माँ बिन…! माँ समन्दर की गहराई है,ज़िन्दगी की सच्चाई हैअद्भुत व महकती छाया है,यहाँ दिखती है जन्नत-सी सुबह-शामयहाँ पर दिखता है,अपने दामन में समेटे हुएप्यार स्नेह और,आशीर्वाद का नाम।…

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ममता का सागर

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)************************************************ माँ बिन…! माँ मेरी ममता का सागर,जग में तुम्हीं महान हो।मेरा सब कुछ है तुमसे ही,ईश्वर का वरदान हो॥ मुझे धरा पर लाने वाली,रखती आँचल…

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माँ बिन तम

अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर(मध्यप्रदेश)****************************************** माँ बिन…! माँ ही है गुरुउजाला जीवन कासबसे शुरू। माँ अनुपमबेफिक्र दुनिया सेसहती गम। होती जननी,माँ बिन क्या जगतमाँ ही धरणी। माता महानजलती दीपक-सीमाँ है विज्ञान। कभी…

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सब सिफारिश से तय

हेमराज ठाकुरमंडी (हिमाचल प्रदेश)***************************************** संघर्ष की राहों पर चलतेे-चलते, रास्ता जब तय होता है,सफलता के उत्कर्ष का किला, मुकम्मल विजय होता हैअसीम आनन्द तो कभी, कभी हर्षोल्लास उदय होता हैदर्द…

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