आसमान
डॉ.अशोकपटना(बिहार)********************************** स्वच्छ ज़मीन-स्वच्छआसमान... यह जीवन के सुखद अहसास और सुकून का उत्सव है,पर्यावरण दिवस पर राष्ट्राभिनंदन से लगता महोत्सव है।यह जीवन के एक सुखद अनुभव का श्रंगार है,स्वस्थ तन-मन का…
डॉ.अशोकपटना(बिहार)********************************** स्वच्छ ज़मीन-स्वच्छआसमान... यह जीवन के सुखद अहसास और सुकून का उत्सव है,पर्यावरण दिवस पर राष्ट्राभिनंदन से लगता महोत्सव है।यह जीवन के एक सुखद अनुभव का श्रंगार है,स्वस्थ तन-मन का…
ममता तिवारी ‘ममता’जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** जल अनल बनाये जो,आग पिये जातेजग हलचल लाये वो…। धुएँ में तैराते,कहते कवि जिनकोभावों से नहलाते…। पल महल बना अम्बर,मेघ से ले छतरीये सपनों के पथकर…। कवि…
राधा गोयलनई दिल्ली****************************************** स्वच्छ जमीन-स्वच्छ आसमान... तप्त धूप में चलते चलते, पड़े पाँव में छाले हैं,छाँव कहीं भी नजर न आए, सारे वृक्ष काट डाले हैंपंखी सारे तड़प रहे हैं,…
डॉ. कुमारी कुन्दनपटना(बिहार)****************************** स्वच्छ जमीन-स्वच्छ आसमान... समझाऊँ कैसे मैं, मन की बात,जानकर भी बन रहे अनजानस्वस्थ जीवन को चाहिए,स्वच्छ जमीन, स्वच्छ आसमान। जीव-जन्तु हैं, धरा पर अनेक,उसमें मनुज सबसे बुद्धिमानहोड़…
सच्चिदानंद किरणभागलपुर (बिहार)**************************************** एक बेटी सजती है,नई दुल्हन मेंडोली के रूप में कार,सजी कुछ असली-नकलीफूलों के हार से,जा बैठी आभूषणों सेलदी, हाथ-पैर मेहंदी केमनमोहक प्यार में पिया संग,भोली-भाली एक बेटी।…
डॉ. श्राबनी चक्रवर्तीबिलासपुर (छतीसगढ़)************************************************* स्वच्छ जमीन-स्वच्छ आसमान... धरती माँ ने दिया है हमकोआशीर्वाद अपरंपार,हरे-भरे वृक्ष देतेअसंख्य अनमोल उपहार,धान, सब्जी, फल और फूललकड़ी, जड़ी-बूटी, कपड़ा, खनिज,शुद्ध वायु, ठंडी छाँव और आश्रय।…
प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* जीवन दिखता है वहाँ, जहाँ प्रीति की रीति।अंतर्मन में चेतना, पले नेह की नीति॥ नित्य प्रीति की रीति से, जीवन बने महान।ढाई आखर यदि रहें, दूर…
डॉ. प्रताप मोहन ‘भारतीय’सोलन(हिमाचल प्रदेश)***************************************************** जैसे होते हैं हम,वैसा ही है दिखाताआईना कभी भी,झूठ नहीं फरमाता। झूठ बताना फितरत,नहीं है इसकीहमेशा सच बताता है,सबको अपनी-अपनी,औकात दिखाता है। सही को सही,और…
डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) ********************************************* वसुधा यह पावन है जग में,मनभावन हैं ऋतुएं इसकी॥इसकी खुशबू जग में पसरी,यह स्वर्ग समान धरा जिसकी॥जिसकी नदियाँ नग सागर है,सब स्वर्ण समान प्रभा उसकी॥उसकी रज…
हेमराज ठाकुरमंडी (हिमाचल प्रदेश)***************************************** सड़कों पर चलती टोलियाँ,मजदूरों की जाती अपने गाँवनसीब न छाता सिर पर उनके,न ही हरे पेड़ों की छाँव।नन्हीं गुड़िया पूछती- "बापू,कितनी दूर है अब तो ठाँव…