मैं अग्नि हूँ

डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’जमशेदपुर (झारखण्ड)******************************************* जलता मैं चिराग हूँ,दहकता अलाव हूँहर पल धधकता रहा,वो जलती आग हूँ। सदियों से जली हूँ,ना बुझी बस जलती हूँलहकती मचलती,रौशनी मेहताब हूँ। जलती हर…

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कोई बात नहीं

अरुण वि.देशपांडेपुणे(महाराष्ट्र)************************************** हवा का रूख देख कर,लोग बदलते हैंकोई बात नहीं,हम भी बदलें, जरुरी नहीं…। चमकता सितारा बनाना,ख्वाईश बुरी नहींहै तैयारी तो ठीक है,दिल ना माने तो मत करोकोई बात…

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विवाह

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* नर-नारी यह चाहते, क़िस्मत जाए जाग।सात वचन के संग में, खेले नित अनुराग॥ अग्निदेव को पूजकर, माँग रहे वरदान,खुशियों से पूरित रहे, दोनों के अरमान।रहे हर्ष,गतिशीलता,…

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स्नेह बसाए उजड़ी दुनिया

उमेशचन्द यादवबलिया (उत्तरप्रदेश) *************************************************** आओ आओ प्यारे मेरे, स्नेह का पाठ पढ़ाते हैं,हो जाय अगर सच्चा स्नेह तो, मूर्छित भी मुस्काते हैं। सच्चा स्नेह ना मांगे कुछ भी, स्नेही खुद बतलाते…

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दिल को पत्थर बना लिया…

तारा प्रजापत ‘प्रीत’रातानाड़ा(राजस्थान) ***************************************** देखते हैं कब तक,आजमाएगा ज़माना हमें ?हमने भी ना टूटने की,कसम खायी है।दिल था मोम मेरा,मैंने पत्थर बना लियाकिसी ने दी आशीष तो,किसी ने बददुआ।ये सोचकर,मैं कभी…

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अडिग रहो कर्म पर

जय श्री कृष्ण (भाग-२)... बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)****************************************************** अडिग रहो निज कर्म पर, देंगे फल प्रभु चार।एक आस विश्वास ही, करे स्वप्न साकार॥ पावन ब्रज की वो धरा, जहाँ…

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वो चाय

बबीता प्रजापति ‘वाणी’झाँसी (उत्तरप्रदेश)****************************************** स्कूल जाने से पहले,वो पारले-जी वाली चायहाँ मुझे याद है,पिताजी की आफिस सेवापसी वाली चाय।फिर शाम को ४ बजे की,परिवार के साथ वाली चायमुझे याद है…

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संस्कार और संस्कृति

डॉ. श्राबनी चक्रवर्तीमनेन्द्रगढ़ (छत्तीसगढ़)********************************************* शुद्धि की प्रक्रिया ही मौलिक संस्कार है,शरीर, मन, और मष्तिष्क जब पवित्र हो तो श्रेष्ठ श्रृंगार हैसंस्कृति हमारे देश की प्राचीन अलंकार है,निरंतर मानव को उदयीमान…

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खो गई है बेटियाँ

संजय वर्मा ‘दृष्टि’ मनावर(मध्यप्रदेश)**************************************** नन्हीं हथेली में,पकड़ना चाहती है चाँद कोजिद करके,पाना चाहती चाँद को। छुप जाता है जब,माँ को पुकारती पाने चाँद कोथाली में पानी भरकर,परछाई से बुलाती माँ चाँद…

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रात ढल चुकी

श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)******************************************* झाँक रही हूँ खिड़की से नीलगगन,कहाँ हो चन्द्रमा, कहाँ हो गए मगनसच बताओ चन्द्रमा, क्या है इरादा ?लगता है भूल गए हो अपना वादा। रात ढल…

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