खिल उठा मन का मौसम

बबीता प्रजापति झाँसी (उत्तरप्रदेश)****************************************** मन में कई ख्यालात आते हैं,यादों के मौसम में बरसात लाते हैंबरसात के बाद का,आलम न पूछोआज खिल उठा है,मेरे मन का मौसम। कभी दूर पहाड़ों में…

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सहना है हर दुःख को

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)************************************** सहना है हर दुःख को, सुख के दिन तो चार।बिना दुःख के सुख नहीं, रीत यही संसार॥रीत यही संसार, कर्म सबको है करना।प्यार मिले स्वीकार,…

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प्रभु माया

डॉ. अनिल कुमार बाजपेयीजबलपुर (मध्यप्रदेश)*********************************** प्रभु की ये अद्भुत माया,सुंदर मोहक रूप बनाया। देवलोक से मातातुल्य,देवी को पृथ्वी पर लाया। सेवा की सूरत हो तुम,करुणा की मूरत हो तुम। तुम…

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तरसती आँखें

संजय वर्मा ‘दृष्टि’ मनावर(मध्यप्रदेश)**************************************** तरसती आँखें,और आसमन का मौसम का,प्यार को पाने के लिएतलाशने लगता है मन। बिखर गए,मोतियों से प्रेम के रिश्ते कोफिर से पिरोने की चाह,मन का मौसमअपने बादल…

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ओ मेरी प्यारी माँ

ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’अलवर(राजस्थान)*********************************************** ओ मेरी प्यारी माँ मैं तेरी बनावट हूँ,तेरे सुनहरे सपनों की मैं सजावट हूँभावनाओं में बहकर खूब रोई है तू,तेरी हर खुशी की मैं एक आहट हूँ।…

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एहसास प्यार का

अरुण वि.देशपांडेपुणे(महाराष्ट्र)*************************************** इतना ही कह दो ना,तुम सनम एक बारचाहती हो तुम हमको,करती हो हमसे प्यार। कितना मीठा होता है,एहसास प्यार का औरइकरार-ए प्यार का,दिल कहे शुक्रिया प्यार का। मोड़…

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स्पर्श की मात्रा

एम.एल. नत्थानीरायपुर(छत्तीसगढ़)*************************************** कुछ शब्द इसलिए जन्मे,उनसे स्पर्श कर सकते हैंउज्जवल धवल अस्तित्व,में विमर्श कर सकते हैं। स्पर्श की आत्मीयता ही,मन को सराबोर करती हैसंजीवनी बूटी बनकर ही,यह भाव-विभोर करती है।…

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हाय! मँहगाई

राजबाला शर्मा ‘दीप’अजमेर(राजस्थान)******************************************* हाय! हाय मँहगाईउफ़! ये मंहगाई,सच बता कहां से आई ?है सबकी शामत आई। नींबू कभी पसीना दिलाए,प्याज नौ-नौ आँसू रुलाएटमाटर भी है छक्के छुड़ाएआम आदमी जीवन कैसे…

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खुशियों के फूल खिलाएं

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** आओ हम सब साथी मिलकर,ऐसा ये संसार बनायें,कोई दुखी नहीं हो जग में,हम खुशियों के फूल खिलायें। सभी द्वेषता भूले मन की,आपस में सब दिल मिल…

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पृथ्वी

संजय वर्मा ‘दृष्टि’ मनावर(मध्यप्रदेश)**************************************** पृथ्वी पर,सूर्यास्त होता ये भ्रमवर्षो से पाले हैं हम,पृथ्वी के झूले मेंहम सभी झूल रहे,घूम रहेऋतु चक्र का आनन्द लिए,घूमते जाने सेसूर्योदय-सूर्यास्त की राह,देश-विदेश मेंहोती अलग-अलग। पृथ्वी…

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