कहां है मुंसिफ…

प्रदीपमणि तिवारी ध्रुव भोपाली भोपाल(मध्यप्रदेश) **************************************************************************** वो बेग़ुनाह कहे खुदा तमाम कहां। कहां है मुंसिफ यार तामझाम कहां। फ़क़त इरादों में बसा रखा था जो, हमी हैं साहिब वो मगर ग़ुलाम…

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चिराग बुझा दे हमें जरूरत नहीं

मनोज कुमार सामरिया ‘मनु’ जयपुर(राजस्थान) **************************************************** चिराग कब अँधेरों की कमजर्फ़ साजिशों से छला हैl जब तक रहा दम,चीरकर तम शिद्दत से जला हैl फासले मंजिल के दरमियाँ कम ही…

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क्यूँ देखे तू चंदा

पंकज भूषण पाठक ‘प्रियम’ बसखारो(झारखंड) *************************************************************************** (रचनाशिल्प: काफ़िया-रा,रदीफ़-चाँद सा) क्यूँ देखे तू चंदा,खुद चेहरा तेरा चाँद सा, क्यूँ देखूँ मैं चंदा,जब प्यारा मेरा चाँद-सा। चाहत होगा चकोर का,क्या होगा भोर…

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मुझे बज़्म में तुम…

वकील कुशवाहा आकाश महेशपुरी कुशीनगर(उत्तर प्रदेश) *************************************************************** मुझे बज़्म में तुम बुलाते हो साहबl मगर नाम भी भूल जाते हो साहब। जो तोड़ा है रिश्ता मुझे भूल जाओ, मेरा नाम क्यों…

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आपको ढूंढता किधर साहब

गोविन्द कान्त झा 'गोविन्द राकेश' दलसिंहसराय (बिहार) *************************************************************** मैं उधर से गया ग़ुजर साहब, थी मनाही जहाँ जिधर साहब। आसमाँ में ही हैं उड़े फिरते, आपको ढूंढ़ता किधर साहबl शाम…

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मंज़र नहीं देखा…

वकील कुशवाहा आकाश महेशपुरी कुशीनगर(उत्तर प्रदेश) *************************************************************** भीतर की हलचलों का वो मंज़र नहीं देखाl सबने मुझे देखा,मेरे अंदर नहीं देखाl सब लोग मानते रहे हैं कोयला मुझे, हीरे को जौहरी…

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जैसे बारिश से बेनूर…

सलिल सरोज नौलागढ़ (बिहार) ******************************************************************* वो इस कदर बरसों से मुतमइन है, जैसे बारिश से बेनूर कोई ज़मीन है। साँसें आती हैं,दिल भी धड़कता है, सीने में आग दबाए जैसे…

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गाँधी अब भी ज़िन्दा हैं

अब्दुल हमीद इदरीसी ‘हमीद कानपुरी’ कानपुर(उत्तर प्रदेश) ***************************************************** एक अच्छा विचार हैं गाँधी। सत अहिंसा का सार है गाँधी। उनके दम से हरा भरा भारत, इस चमन की बहार है…

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वफ़ा का फ़साना

कैलाश झा ‘किंकर’ खगड़िया (बिहार) ************************************************************************************ मुझे भी सुनाना, वफ़ा का फ़साना। न भूलूँ कभी मैं, न मुझको भुलाना। हुआ हूँ मैं तेरी, नज़र का निशाना। चलेगा न अब वो,…

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भीग रहा दिल का कोना

अब्दुल हमीद इदरीसी ‘हमीद कानपुरी’ कानपुर(उत्तर प्रदेश) ***************************************************** अश्क बहाकर आँख भिगोना। छोड़ो अब ये रोना-धोना। हँसते रहना बाहर-बाहर, अन्दर-अन्दर छुपकर रोना। अश्क नहीं बाहर से दिखते, भीग रहा पर…

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