विश्वकप अब तुम ला दो…

दुर्गेश कुमार मेघवाल ‘डी.कुमार ‘अजस्र’बूंदी (राजस्थान)************************************************** लहरा-दो, लहरा-दो,दुनिया में तिरंगा लहरा-दो।ट्वेंटी-ट्वेंटी के विश्वकप को,अबकी बार तो घर ला दो॥ ऑस्ट्रेलिया की मैच पिचों पर,विश्वयुद्ध घमासान लड़ो।सेमी और फाइनल को जीतकर,विजय…

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कर्मशीलता

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)************************************ नाम मिले या गुमनामी,मेरा तो धंधा चलता है।मैं हूँ ऐसी छड़ी कि जिसको,पकड़ के अंधा चलता है॥ क्या कहती है दुनिया सारी,मुझको कुछ परवाह नहींकौन नाम है जिसके…

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नींद नहीं आती

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** रातों को नींद नहीं आती सब, खाली-खाली लगता है।पागल-सा देखूं इधर-उधर, इक दिल में दर्द उभरता है॥ क्या प्यार इसी को कहते हैं कोई मुझको समझाए…

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रचा हर जीवन प्रभु ने

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ********************************************* रचा हर जीवन को प्रभु ने,सुख-दु:ख जिसमें रहते।सजाते मन के भाव इन्हें,प्रभु जी मन परखा करते॥ हर कर्म किया करता जीवन,जो भाग्य सजाया करते…

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बुद्ध सार कहता है

आशा आजाद`कृति`कोरबा (छत्तीसगढ़) ******************************************* बुद्ध सार कहता है सुन लो, कण-कण में शुभ ज्ञान है।क्यों पूजें हम पत्थर मूरत, पुण्य कर्म ही दान है॥ हमें जरूरत पंचतत्व की, यह जीवन…

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गिरिधारी, कलियुग में आ जाओ

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* हे! गिरिधारी नंदलाल, तुम कलियुग में आ जाओ।जीवन देखो दर्द सना है, पीड़ा सकल हटाओ॥ जीवन तो अभिशाप हो रहा,बढ़ता नित संताप है।अधरम का तो राज…

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दीप पर्व

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* रोशनी से ज़िन्दगी.... दीप दिप-दिप है दमकता, खुश हुआ व्यवहार है।भाव की माला पिरोकर, द्वार पर त्योहार है॥ काल मंगलमय-सुहाना,अल्पनाएँ हैं सजीं।रोशनी देती दुआएँ,सरगमें लय में…

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सावन में बिरह

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** बीत गया युग मिल जाओ तो हृदय कमल खिल जाये।युग की प्यासी इन अँखियों को दरश तेरा मिल जाये॥ राह चुनी ऐसी मग चलते, शायद तुम…

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अपना कोई नहीं बहाना

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)************************************ रोज रात का आना-जाना,रोज सबेरे का इठलानालगता है ये दोनों ही हैं,इस जीवन का ताना-बाना। एक पूर्व से पश्चिम तक है,और एक उत्तर से दक्षिणसभी बंधे हैं इन…

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अमन-शांति का अलग मजा

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** छोड़ पाशविकता ये सोचो अमन-शांति का अलग मज़ा है।हो अशान्ति साम्राज्य जहाँ वो जीवन लगता एक सज़ा है॥ विश्व लगे उपवन के जैसा है महक उठे…

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