फैसला करते हैं स्वीकार

मोहित जागेटिया भीलवाड़ा(राजस्थान) ************************************************************************** शांति एकता का मिला,हम सबको पैगाम। जो भी आया फैसला,घर आये प्रभु रामll हो मोहब्बत हर तरफ़,बना रहे ये प्यार। सदभावी पैगाम हो,सच्चा हो व्यवहारll ये तो जीत न हार है, जीता बस इंसान। देखा सबने आज तो,जीता हिन्दुस्तानll घर में आये लौट कर,मनो खत्म वनवास। मिला आज घर राम को,ये … Read more

शुभ `चिंतन` सब कीजिये

बोधन राम निषाद ‘राज’  कबीरधाम (छत्तीसगढ़) ******************************************************************** चिंतन- शुभ चिंतन सब कीजिये,मिले सभी फल चार। सादा स्वच्छ विचार से,बनता है व्यवहारll क्षमा- क्षमादान सबसे बड़ा,होता मेरे यार। दीन-हीन सब पर करो,मिले सभी को प्यारll प्रज्ञा- प्रज्ञा आप जगाइए,बनकर बुद्धिमान। पावोगे संसार में,सबसे फिर सम्मानll प्रचण्ड- ठंडी बड़ी प्रचण्ड है,कैसे बचे किसान। खेतों में मेहनत करे,धरे … Read more

बधाईयाँ श्रीराम को

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** आज मुक्त हो राम लला,विजयी बन अधिराज। रामराज्य भारत बने,नव भारत आगाज़ll सच जीता संकल्प दृढ़,जीता कोशल राज। जय श्रीराम जयघोष से,अभिनंदित समाजll लौटी भारत अस्मिता,रामलला सम्मान। महाविजय भारत प्रजा,संघर्षी अरमानll पुलकित है माँ भारती,प्रमुदित जन मन देश। रामलला पा अयोध्या,धन्य हुआ अवधेशll आज विजय है न्याय का,सत्य … Read more

सब ज़िम्मेदार

अब्दुल हमीद इदरीसी ‘हमीद कानपुरी’ कानपुर(उत्तर प्रदेश) ***************************************************** लफ्फाज़ी होती रही,हुई तरक़्क़ी सर्द। समझ नहीं ये पा रहे,सत्ता के हमदर्दll अबलाओं पर ज़ुल्म कर,बनते हैं जो मर्द। निन्दा जमकर कीजिये,मिलेंं जहाँ बेदर्दll डंका अब बजने लगा,उसका भी घनघोर। एक ज़माने तक रहा,जो इक नामी चोरll हम सब ज़िम्मेदार हैं,सिर्फ नहीं इक आध। भूख कराती है … Read more

ख़ुद जीवन का रिपु मनुज

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** जीवन का रिपु मनुज,खड़े मौत आगाज। बिन मौसम छायी घटा,वायु प्रदूषित आजll भागमभागी जिंदगी,बढ़ते चाहत बोझ। सड़क सिसकती जिंदगी,वाहन बढ़ते रोज॥ चकाचौंध उद्यौगिकी,नभ में फैला धूम। जले पराली खेत में,मौत प्रदूषण चूम॥ चहुँदिक् है फैला तिमिर,भेद मिटा निशि रैन। नैन प्रदूषित जल रहा,सुप्त प्रशासन चैन॥ हृदय रोग बढ़ता … Read more

जीवन,जीवन ना रहा

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे मंडला(मध्यप्रदेश) *********************************************************************** दुनिया कैसी हो गई,कैसे हैं अब लोग। पूजा से सब दूर हैं,चाहें केवल भोग॥ सेवक बनकर घूमते,पर करते हैं राज। सेवा का कोई नहीं,करता है अब काज॥ सत्ता पाना हो गया,अब कितना आसान। पर ऑफिस में,भृत्य का,पद मुश्किल,यह जान॥ जो सच्चे,वो रो रहे,झूठों पर मुस्कान। नम्बर दो से ही … Read more

आओ हास करें..

डॉ.विद्यासागर कापड़ी ‘सागर’ पिथौरागढ़(उत्तराखण्ड) ****************************************************************************** जीवन कितने दिन का ?,आओ हास करें। छोड़ उरों से रिपुता,मिलकर रास करेंll यमशाला है भू पर,भू पर इन्द्रपुरी। क्या मिलता है किसको,उर में छिपी धुरीll विपदा में हो कोई,उसके घर जाकर। छांटें उसके शूल व,बांटे कुसुमाकरll उपजे कटुता कोई,उसका नास करें। जीवन कितने दिन का ?,आओ हास करेंll राघव … Read more

गुरु नानकदेव

सुरेश चन्द्र ‘सर्वहारा’ कोटा(राजस्थान) *********************************************************************************** थे गुरु नानकदेव जी,युग के पुरुष महान। की जिनने संसार को,संस्कृति नई प्रदानll कहते नानकदेव जी,परम पुरुष है एक। उसकी इच्छा में चलें,छोड़ सभी उद्रेकll एकमात्र कवि संत हैं,नानकदेव महान। निन्दा तज जिनने किया नारी का गुणगानll सब जीवों को आत्मवत,देते आदर प्यार। अहं-शून्य होकर रहे,नानक इस संसारll किसी जाति … Read more

सूझ-बूझ से काम करना यार

बोधन राम निषाद ‘राज’  कबीरधाम (छत्तीसगढ़) ******************************************************************** सूझ-बूझ से काम को,करना सबको यार। काम बिगड़ जाते सभी,दिन होता बेकारll करो मेहनत हो लगन,मन में सोच विचार। होता रोशन नाम फिर,गुण गाते संसारll सूझ-बूझ अपनाय से,काम होय आसान। सावधान रहना सभी,मत बनना नादानll सूझ-बूझ मन में रखो,मिले सफलता हाथ। सबसे हिल-मिल चाहिए,इक-दूजे का साथll धर्म-कर्म विश्वास … Read more

पलायन

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’ अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ****************************************************************************** गाँव और खलिहान सब, रहते थे भरपूर। घर-घर में खुशियां भरी, पुष्प बिखेरे नूरll गरमी या बरसात हो, या सर्दी हेमंत। चहल-पहल थी गाँव में, सुनते वाणी संतll हुआ आज क्या अचानक, गाँव हुए वीरान। धरती बंजर है पड़ी, बाग खेत खलिहानll घरों में ताले हैं पड़े, आँगन उगी है … Read more