अजय वीर निर्भय बनो

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** अजय वीर निर्भय बनो,भारत माँ के लाल। बहुत हुआ आतंक अब,करो उसे बदहाल॥ शौर्यवीर भारत सपूत,सीमा प्रहरी शान। नापाकी इस पाक का,करो धरा अवसान॥ बहुत हुआ बलिदान अब,बहुत सहे अपमान। कुल कपूत अंगार बन,पाक बना शैतान॥ ब्रह्मोशी राफेल अब,पृथिवी अग्नि सशस्त्र। कर प्रयोग तेजस प्रखर,छोड़ अपाचे अस्त्र॥ शक्ति … Read more

तुलसी

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* दिव्य छंद तुलसी रचे,भारत हुआ कृतज्ञ। मैं,उनके सम्मान में,दोहे लिखता अज्ञll हुलसी तुलसी गंध-सी,सेवित तुलसीदास। भाव आतमा राम से,मानस किया उजासll नरहरि जी सद्गुरु मिले,पायक हनुमत वीर। रत्नावली से राम का,मिला पंथ मति धीरll मानस-मानस में रखे,पहचाने अरि मित्र। तुलसी ने अनुपम रचा,रघुपति राम चरित्रll सन्त असन्त विवेचना,नारि धर्म,नर कर्म। मानस … Read more

जगराता

बोधन राम निषाद ‘राज’  कबीरधाम (छत्तीसगढ़) ******************************************************************** माता के दरबार में,जोत जले दिन-रात। आओ भक्तों कर चलो,माँ से सौ-सौ बात॥ जगराता में मातु का,मंदिर जगमग होय। दर्शन देते मातु है,अर्ज करे सब कोय॥ ढोलक बाजत साज है,नाचत है सब झूम। बालक वृद्ध जवान भी,देख रहे हैं घूम॥ जगराता करते सभी,रहते हैं उपवास। माता सबके दिल … Read more

बनकर जीयो राष्ट्र का

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** मन पावन सत्काम से,मनभावन हितकाम। त्याग न्याय सत्पारखी,हरि राम सुखधाम॥ रिश्ते-नाते स्वार्थ के,भौतिक मायाजाल। परहित मुख मुस्कान दो,अलबेला है काल॥ बनकर जीओ राष्ट्र का,सहभागी निर्माण। मातु-पिता सेवन करो,कर निर्बल कल्याण॥ सदाचार यायावरित,बनो रथी सच धीर। मातृभूमि सम्मान नित,कर सपूत बन वीर॥ शान्ति प्रीति पैगाम दो,पर जम़ीर हो चोट। … Read more

स्वच्छ भारत

बोधन राम निषाद ‘राज’  कबीरधाम (छत्तीसगढ़) ******************************************************************** भारत अपना स्वच्छ हो,करो सभी सहयोग। महके गुलशन देश यह,जन-गण रहे निरोग॥ बापू का सपना यही,पूरा करना आज। मिलकर कदम बढ़ा चलो,बने स्वच्छ यह राज॥ साफ-सफाई हाथ में,आओ लियो उठाय। सुन्दर भारत वर्ष अब,स्वर्ग यहाँ बन जाय॥ करो प्रतिज्ञा साथियों,मिलकर करना काम। भारत अपना स्वच्छ हो,ऐसा दो पैगाम॥ … Read more

दिनकर

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* दिनकर दिनकर से हुए,हिन्दी हिन्द प्रकाश। तेज सूर जैसा रहा,तुलसी सा आभास॥ जन्म सिमरिया में लिये,सबसे बड़े प्रदेश। सूरज सम फैला किरण,छाए भारत देश॥ भूषण सा साहित्य ध्रुव,प्रेमचंद्र सा धीर। आजादी के हित लड़े,दिनकर कलम कबीर॥ भारत के गौरव बने,हिन्दी के सरताज। बने हिन्द के राष्ट्रकवि,हम कवि करते नाज॥ आजादी के … Read more

गांधी

सुरेश चन्द्र ‘सर्वहारा’ कोटा(राजस्थान) *********************************************************************************** महात्मा गाँधी जयंती विशेष……. आजादी का फूँककर,आमजनों में मंत्र। गांधी जी ने कर दिया,भारत देश स्वतंत्र॥ साधन पावन ही रहें,था गांधी का जोर। चाहे देरी से मिलेे,हमें लक्ष्य का छोर॥ गांधी का जीवन रहा,सच के साथ प्रयोग। जिससे लग पाया नहीं,उन्हें रूढ़ि का रोग॥ गांधी में कमियाँ रही,थे वे भी … Read more

समरसता जीतो जगत

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** मोदी आगे बढ़ गये,दुनिया का मन जीत। प्रगति चाह जन राष्ट्र का,समरसता नव प्रीतll राष्ट्र प्रथम इस भाव से,जब रंजित हो चित्त। देशप्रेम अनुरक्त मन,जीवन बने निमित्तll स्वच्छ रहे वातावरण,हो निरोग शरीर। निर्मल परहित चिन्तना,त्याग धीर अरु वीरll ध्येय निष्ठ सच प्रगति नित,यायावर मन राह। अमन चैन हर्षित … Read more

कर `विवेक` को संतुलित

डॉ.एन.के. सेठी बांदीकुई (राजस्थान) ************************************************************************* जिसमें विवेक हो वही,विजय करे संसार। जीवन सार्थक है वही,बाकी सब बेकारll सब विवेक से काम ले,कार्य होय साकार। बिन विवेक सब शून्य है,जीवन बिन आधारll मानव पशु से है अधिक,होता उसको ज्ञान। वैसे तो पशुतुल्य है,इससे अतिशय जानll बिन विवेक संसार में,जीना पशु के तुल्य। जो विवेक से युक्त … Read more

राष्ट्रभाषा हिन्दी है उत्कृष्ट

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे मंडला(मध्यप्रदेश) ************************************************************************ हिन्दी हितकर है सदा,हिन्दी इक अभियान। हिन्दी में तो आन है,हिन्दी में है शानll हिन्दी सदा विशिष्ट है,हिन्दी है उत्कृष्ट। हिन्दी अपनायें सभी,होकर के आकृष्टll कला और साहित्य है,पूर्ण करे अरमान। हिन्दी में है उच्चता,’शरद’ सभी लें मानll हिन्दी का उत्थान हो,हिन्दी का सम्मान। हिन्दी पर अभिमान हो,हिन्दी का … Read more