सुरेश चन्द्र ‘सर्वहारा’
कोटा(राजस्थान)
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थे गुरु नानकदेव जी,युग के पुरुष महान।
की जिनने संसार को,संस्कृति नई प्रदानll
कहते नानकदेव जी,परम पुरुष है एक।
उसकी इच्छा में चलें,छोड़ सभी उद्रेकll
एकमात्र कवि संत हैं,नानकदेव महान।
निन्दा तज जिनने किया नारी का गुणगानll
सब जीवों को आत्मवत,देते आदर प्यार।
अहं-शून्य होकर रहे,नानक इस संसारll
किसी जाति या धर्म से,रहा नहीं सम्बन्ध।
नानक फैलाते रहे,मानवता की गंधll
नानक-वाणी का रहा,’जपु जी साहब’ सार।
सभी पक्ष पर आत्म के,जिसमें किया विचारll
मानें नानकदेव का,हम सब ही उपकार।
जग में सच्ची सीख का,जिनने किया प्रसारll
परिचय-सुरेश चन्द्र का लेखन में नाम `सर्वहारा` हैl जन्म २२ फरवरी १९६१ में उदयपुर(राजस्थान)में हुआ हैl आपकी शिक्षा-एम.ए.(संस्कृत एवं हिन्दी)हैl प्रकाशित कृतियों में-नागफनी,मन फिर हुआ उदास,मिट्टी से कटे लोग सहित पत्ता भर छाँव और पतझर के प्रतिबिम्ब(सभी काव्य संकलन)आदि ११ हैं। ऐसे ही-बाल गीत सुधा,बाल गीत पीयूष तथा बाल गीत सुमन आदि ७ बाल कविता संग्रह भी हैंl आप रेलवे से स्वैच्छिक सेवानिवृत्त अनुभाग अधिकारी होकर स्वतंत्र लेखन में हैं। आपका बसेरा कोटा(राजस्थान)में हैl