ओले

बुद्धिप्रकाश महावर `मन` मलारना (राजस्थान) **************************************************** ओले-ओले सब करत,ओ ले कहत न कोय। ओ ले,ओ ले जो कहे,वो मन अपना होयll केश भया पानी नहीं,पानी भया न केश। सिर मुंडा ओले गिरे,बदला सिर का भेषll खेती कर कृषक भया,हरियाली चंहुऔरl फसल पकी ओले पड़े,दुर्भाग्य का दौरll हरी-हरी खेती भयी,ओले रजत सुहाय। सब-कुछ अब चौपट हुआ,हाथ … Read more