माँ भारती…

डॉ.विद्यासागर कापड़ी ‘सागर’पिथौरागढ़(उत्तराखण्ड)********************************** धन्य-धन्य माँ भारती,कैसे करूँ बखान।जगती को बाँटी सदा,उपकारों की खान॥ जन-जन जीवन एक है,ऐक लहू का रंग।धरती ही परिवार है,सदा बताती गंग॥ माँ सबका पोषण करे,सदा दिखाती राह।खोजे से मिलती नहीं,उपकारों की थाह॥ गंधसार,रज भूमि की,मलयज की है वात।निर्जर भी आकर यहाँ,धारें मनु की गात॥ सुधामई माँ भारती,जीवन का है सार।उपकारों का … Read more

कठिनाई

डॉ. मनोरमा चन्द्रा ‘रमा’रायपुर(छत्तीसगढ़)******************************************* कठिनाई के बाद भी,जो रण लेते जीत।सर्व खुशी उनको मिले,सबके बनते मीत॥ आती-जाती मुश्किलें,करे तुम्हें तैयार।घबराना मत तू कभी,जीत मिले या हार॥ कठिन परिश्रम कर चलें,आए जीवन काम।ध्येय लक्ष्यता को धरें,संचित कर्म तमाम॥ कठिन परीक्षा की घड़ी,देखो आई आज।लड़ने को तैयार हूँ,मुझे स्वयं पर नाज॥ जो करता है सामना,कठिन समय के … Read more

मानसून शुभ आगमन

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************** छाया नभ घनघोर घन,दग्ध धरा बिन आप।मानसून आग़ाज़ लखि,मिटे कृषक अभिशाप॥ मानसून की ताक में,आशान्वित निशि रैन।उमड़ रही काली घटा,कृषक चमकते नैन॥ आया सावन मास फिर,बिजुली गरजे व्योम।बूंद-बूंद बरसे घटा,भींगे तन-मन रोम॥ सूर्यातप तनु स्वेद जल,बहता बीच पनार।मानसून शुभ आगमन,जन-मन खुशी बहार॥ सूखे तरु वन खेत सब,पोखर नदियाँ कूप।मानसून … Read more

मीरा की भक्ति

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) *************************************** थी दीवानी श्याम की,मीरा जिसका नाम।जो युग-युग को बन गई,हियकर अरु अभिराम॥ पिया हलाहल,पर अमर,पाया इक वरदान।श्रद्धा से तो मिल गई,जीवन को नव आन॥ लोक लाज को तज हुई,मीरा भक्तिन रूप।खिली हृदय पावन-मधुर,मीठी-मोहक धूप॥ मीरा खोई श्याम में,श्याम बने मनमीत।नहीं हरा पाया उसे,मीरा पाई जीत॥ इकतारा लेकर सजी,मीरा मंदिर ख़ूब।नाची,गाई,मस्त … Read more

पत्ता

ममता तिवारीजांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** पत्ता-पत्ता झूमकर,धरती दे अनुराग।पावस सम खुशियाँ कहाँ,है हरियाली जाग॥ छेड़े रागनियाँ पवन,पत्ते करते नाच।तरुवर डोले डालियाँ,लगे बूंद जल काँच॥ झुलसे पादप ग्रीष्म से,पतझड़ पात विहीन।आगम वर्षा जी उठे,पौधे उगे महीन॥ कोमल पल्लव काँपते,खग पश पीपल ठाँव।शीतल कोटर घोंसले,करते कलरव छाँव॥ कोमल मिट्टी स्नेह से,पाले पोषय पेड़।जीवन वृक्ष हरस उठे,हो बरखा मुठभेड़॥ पात-पात पर … Read more

देशप्रेम हो चित्त

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************ समरसता के रंग में,सराबोर परिवेश।अनेकता में एकता,दे भारत संदेश॥ जाति-धर्म आधार ही,हर चुनाव आचार।ऊँचे से नीचे तलक,लोकतंत्र लाचार॥ कवि ‘निकुंज’ जीवन सफल,जन्मा भारत देश।सहयोगी मानस बनें,देशभक्ति परिवेश॥ भाईचारा वतन हो,प्रगति प्रीति सम्मान।अपनापन परहित अमन,समरस यश अरमान॥ तज आलस संकल्प लो,कर मिहनत से प्यार।मिटे निराशा जिंदगी,नव आशा संचार॥ त्याग शील … Read more

सुन लो हे बृजराज

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)********************************** गैया आगे श्याम जी,हलधर भी है साथ।पीछे सब हैं ग्वालिनें,लिए हाथ में हाथ॥ कही राधिका श्याम से,तू तो है चितचोर।चित्त चुरा कर ले गया,नटखट नंदकिशोर॥ माधव बिन सूना लगे,ये सारा ब्रजधाम।सोच रही है राधिका,कब आएँगे श्याम॥ हे प्रभु दीनदयाल तू,रखना मेरी लाज।करूँ वंदना आपकी,सुन लो हे बृजराज॥ गुरु आज्ञा वन … Read more

बिन काम नहीं नाम

जबरा राम कंडाराजालौर (राजस्थान)**************************** जीवन जीने के लिए,करना होता काम।काम बिना कछु होत ना,बिना काम नहिँ नाम॥ काम किये से सुख मिलै,और काम व्यवहार।पूछ नहीं बेकार की,नहिँ जीवन में सार॥ काम किये जीवन सुखी,सारी सुविधा पाय।शौक-मौज सारी मिले,खुशियां खिल-खिल जाय॥ जाने सारे काम से,होय काम से नाम।कर्मठ करता है सदा,करो बिना विश्राम॥ अच्छा कारज कीजिये,सदा … Read more

निर्धन

डॉ. मनोरमा चन्द्रा ‘रमा’रायपुर(छत्तीसगढ़)******************************************* जग से निर्धनता मिटे,सुखी बने संसार।विनय करूँ मैं ईश से,अन्न करे बौछार॥ दीन-हीन पर कर दया,करो अन्न का दान।भूखे को भोजन मिले,कर लो धर्म सुजान॥ निर्धन मानव देखकर,अपने मुँह मत मोड़।सभी ईश संतान हैं,नजर फेरना छोड़॥ भरण करे परिवार का,फर्ज निभाये दीन।कठिन परिश्रम नित करे,हृदय रखे न मलीन॥ जान दीन दयनीय … Read more

कृष्ण प्रेम

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)***************************************** कृष्ण प्रेम अनुरागिनी,किये जहर का पान।मीरा दीवानी बनी,रखे हृदय भगवान॥ विष का प्याला पी गई,कृष्ण नाम स्वीकार।मीरा व्याकुल प्रेम में,छोड़ चली घर द्वार॥ साधु संत के साथ में,हरि दर्शन की प्यास।मीरा बैरागन भयी,कृष्ण मिलन की आस॥ कालिंदी तट पर खड़ी,देखे राह निहार।मोहन मेरे साँवरे,ब्रज के राजकुमार॥ वंशीधर मनमोहना,तुझे पुकारूँ आज।बिलख … Read more