आत्मनिर्भर हम बनें

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** अपने को अपना कहें,स्वीकारें भी अन्य। अच्छाई जिसमें दिखे,बनाये उसे अनन्य॥ आत्मनिर्भर हम बनें,चलें देश के साथ। उत्पादक जो देश का,स्वीकारें बढ़ हाथ॥ कर्मवीर मजदूर हम,आत्म निर्भर समाज। रनिवासर मिहनतकसी,स्वागत नव आगाज॥ स्वाभिमान रक्षण स्वयं,बढ़े सुयश सम्मान। हर्षित मन जीवन मनुज,निर्भर खु़द इन्सान॥ सक्षम हम सर्वांग से,कर सकते … Read more

बस किस्मत का खेल

शिवेन्द्र मिश्र ‘शिव’ लखीमपुर खीरी(उप्र) **************************************************** बहुत मुबारक हो उन्हें,यह माहे-रमजान। जिनके दिल में है बसा,प्यारा हिन्दुस्तानll भूख,गरीबी,बेबसी,श्रमिक रहा है झेल। लाचारी से देखता,बस किस्मत का खेलll सुख-सुविधाओं से परे,जीवन करे व्यतीत। मेहनत करता रात-दिन,वर्षा गर्मी शीतll महल,इमारत झोपड़ी,बंगले आलीशान। श्रमिक बिना संभव नहीं कोई भी निर्माणll प्राणों से भी प्रिय अधिक,जिनको लगे शराब। योगी … Read more

अवतारक संसार

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** ‘अन्तर्राष्ट्रीय मातृत्व दिवस’ १० मई विशेष………. जन्मा जिसने कोख़ से,करा पयोधर पान। ममतांचल में पालकर,साश्रु नैन मुस्कान॥ चारु चन्द्रिका शीतला,करुणा पारावार। निज सन्तति बन रक्षिका,अम्बा तू आधार॥ प्रथम शिक्षिका जिंदगी,अवतारक संसार। सींचा नित नैनाश्रु से,पावन माँ आभार॥ स्नेह सुधा सरिता बनी,अवगाहन सन्तान। किया समर्पित जिंदगी,पूर्ण पूत अरमान॥ तू … Read more

माँ पूजा का थाल

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे मंडला(मध्यप्रदेश) *********************************************************************** ‘अन्तर्राष्ट्रीय मातृत्व दिवस’ १० मई विशेष………. माँ होती करुणामयी,माँ सूरज का रूप। देती जो संतान को,सुख की मोहक धूप॥ माँ ईश्वर जैसी लगे,होती पालनहार। माँ में पूरा है भरा,यह सारा संसार॥ हरदम वंदन में रहे,माँ का अनुपम त्याग। माँ-महिमा गायन करें,सातों सुर औ’ राग॥ माँ धरती जैसी लगे,माँ होती … Read more

चिंता

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे मंडला(मध्यप्रदेश) *********************************************************************** मौसम बदला लग रहा,बदले सब आयाम। ‘कोरोना’ ने कर दिया,सबका काम तमाम॥ ईश्वर है आक्रोश में,देखो सुबहोशाम। कैसा इंसां हो गया,कैसा उसका काम॥ शंकाओं का दौर है,शेष न अब विश्वास। मन घायल हर पल लगे,टूट रही है आस॥ चिंताएं नित पल रहीं,सभी जगह विध्वंस। हर कोई रावण हुआ,लगता जैसे … Read more

समय न रुकता है कभी

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’ अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ***************************************************************************** समय बड़ा बलवान है, समय ज्ञान को जान। समय न रुकता है कभी, समय शक्ति पहचान॥ उचित समय पर धारिए, योजित करिए काम। आलस दूर भगाइए, तत्परता अविराम॥ यत्न निरंतर राखिए, समय पूर्व निज काम। असफलता से ना डरे, हिम्मत से ले काम॥ उचित समय को जानकर, उचित कार्य का … Read more

गर्मी की तपन

बोधन राम निषाद ‘राज’  कबीरधाम (छत्तीसगढ़) ******************************************************************** देखो गर्मी की तपन,छायी है चहुँओर। तड़प रहे सब जीव हैं,मचा हुआ है शोर॥ तपती धरती आसमां,कलरव नहीं विहंग। नीर बूँद पाने सभी,हो जाते हैं तंग॥ नदी झील तालाब भी,सूख रहे हैं आज। नीर बिना क्या जिंदगी,होय नहीं कुछ काज॥ व्याकुल मन लगता नहीं,किसी काम में ध्यान। ताप … Read more

तकदीर

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** भार धरा शाश्वत शिरसि,अथक वेदना चूर। कहता है ख़ुद दास्तां,दीन हीन मज़दूर॥ पड़े फफोले हाथ में,घायल पैर सवाल। हुआ स्वेद जल तरबतर,धूल गात्र बदहाल॥ फ्रिज़ कूलर ए.सी. कहाँ,बनी सड़क रनिवास। यायावर संघर्ष पथ,व्योम गेह आवास॥ कहाँ ज्ञान विज्ञान का,जीवन चारागाह। भूख प्यास छत बिन वसन,कैसे हो निर्वाह॥ मिले … Read more

वंदना

डीजेंद्र कुर्रे ‘कोहिनूर’  बलौदा बाजार(छत्तीसगढ़) ******************************************************************** नित्य करूँ मैं वंदना, गुरुवर को कर जोर। पाउँ चरणों में जगह, होकर भाव विभोरll मात-पिता भगवान हैं, करना वंदन रोज। इन देवों को छोड़कर, करते हो क्या खोजll जिनके आशीर्वाद से, हुआ सफल हर काम। करता हूँ नित वंदना, मात-पिता के नामll धरती माँ की वंदना, यह ही … Read more

प्रेम-धन

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** दुनिया ऐसी है समां,लुटा मुहब्बत शान। दो पल की ये जिंदगी,लुट जाएगा मान॥ प्यार बड़ा अनमोल है,बढ़ता जितना खर्च। दान मान सुख दे अमन,मंदिर मस्ज़िद चर्च॥ दीन हीन या धनी हो,हो पादप खग जन्तु। दुनिया सिंचित प्रेम जल,प्रमुदित बिना परन्तु॥ निर्भय निच्छल है सहज,प्रेम भाष उद्गार। मानव दानव … Read more