अमृत,विद्यालय और अकेला चना

डॉ.अर्चना मिश्रा शुक्लाकानपुर (उत्तरप्रदेश)*************************************** संध्या,पप्पी,मंजू और सुधा पास ही के गाँव के उच्च प्राथमिक विद्यालय में पढ़ते थे। चारों एक ही गाँव के थे,इसलिए विद्यालय भी सब साथ में ही…

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कोई अपना-सा

शिवनाथ सिंहलखनऊ(उत्तर प्रदेश)**************************************** पीताम्बर जब प्राइवेट वार्ड के एक कमरे में पहुँचा तो देखा कि बाबू विलासराव बिस्तर पर अचेतावस्था में पड़े हुए थे। एक ओर कैथेटर लगा था तो…

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तुम केन्द्र हो,हम धुरी

सुरेन्द्र सिंह राजपूत हमसफ़रदेवास (मध्यप्रदेश)****************************************** महिला दिवस स्पर्धा विशेष…… दफ़्तर से घर लौटते ही रमेश निढाल होकर पलँग पर पड़ गया,आज उसके चेहरे पर बहुत ज़्यादा उदासी और थकान के भाव…

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प्रारब्ध

सुरेन्द्र सिंह राजपूत हमसफ़रदेवास (मध्यप्रदेश)****************************************** देर रात को नशे में घर लौटे बेटे को नरेश बाबू ने समझाते हुए कहा कि-'बेटा ऐसा कब तक चलेगा...? तुम रोज देर रात घर लौटते…

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बिल्ली और चूहा

डॉ. हंसा दीपटोरंटो (कैनेडा)************************** बीड़ी के कश खींचता हुआ वह लगातार ताक रहा था उस ओर,जहाँ आकाश और धरती एक होने जा रहे थे। सुबह की चहल-पहल शुरू हो गई…

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आधा मुनाफ़ा

मधु मिश्रानुआपाड़ा(ओडिशा)******************************** "भाभी,आप अपनी सेहत का भी ध्यान रखा करो न…माँ का ध्यान रखते रखते..आप कैसी दिखने लगी हो !" अंकिता ने उदासीन होते हुए अपनी भाभी के गालों को…

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शब्दों का खेल

डॉ.सरला सिंह`स्निग्धा`दिल्ली************************************** बाबू जी,माँ का हाथ पकड़ कर बच्चों की तरह रोये जा रहे थे,-'बीनू की माँ मुझको छोड़ कर मत जाना। देखो तुम्हारे बिना मैं जिंदा नहीं रह पाऊँगा।'माँ…

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‘पराकाष्ठा’

शिवनाथ सिंहलखनऊ(उत्तर प्रदेश)**************************************** मानवी और रमणीक को हवनकुंड के चारों ओर सात फेरे लिए हुए अभी कुछ ही दिन बीते थे कि,एक दिन रमणीक ने मानवी से कहा-'मानवी, आज रात…

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मधुमक्खी

डॉ. हंसा दीपटोरंटो (कैनेडा)************************** बेबी सीटर हेज़ल जब से आने लगी है,घर का माहौल ही बदल गया है। बेबी भी बहुत ख़ुश है। जितने प्यार से हेज़ल लोरी सुनाती है,…

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ठिठुरती सुबह

डॉ.शैल चन्द्राधमतरी(छत्तीसगढ़)**************************************** दिसम्बर का आखिरी सप्ताह था। कड़ाके की ठंड पड़ रही थी।शीत लहर के प्रकोप से पूरे शहरवासी कांप रहे थे,फिर भी कहीं क्रिसमस तो,कहीं नए वर्ष का उत्साह…

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