जगती चेतना
ओमप्रकाश अत्रि सीतापुर(उत्तरप्रदेश) ********************************************************************************* मँहगाई से ऊब चुका हूँ थोड़ी साँस हमें लेने दो, जग में व्याप्त बुराई से लड़-लड़ कर मैं टूट गया हूँ, थोड़ा मुझे सुधर लेने दो। दुनिया के झंझावातों को पागल-सा न जाने कबसे, रो-रोकर मैं झेल रहा हूँ सच पूछो तो मन व्याकुल है, जरा इसे बहला लेने दो। अब … Read more