उड़ान…
डॉ.विद्यासागर कापड़ी ‘सागर’ पिथौरागढ़(उत्तराखण्ड) ****************************************************************************** भौतिक जग में कब हुई, सुख से ही पहिचान। मन मेरा भरता रहा, नित-नित नवल उड़ान॥ मन रे थोड़ा रुक जरा, अपने को पहिचान। काहे को भरता सदा, इत-उत नवल उड़ान॥ आज देश को मिल गई, एक नई पहिचान। युवा मनों की हो रही, सपनों भरी उड़ान॥ दुर्बल तन नित … Read more