लोकतंत्र में भी बेबसी

इंदु भूषण बाली ‘परवाज़ मनावरी’ ज्यौड़ियां(जम्मू कश्मीर) ******************************************************** विषय कुछ भी हो मगर कहना वही है जो शक्तिशाली ने कहना है और होना भी वही है जो सत्ता पक्ष चाहता…

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श्राप की चर्चा और पाप पर चुप्पी

राकेश सैन जालंधर(पंजाब) ***************************************************************** कल्पना करें कि द्वापर युग में आज का मीडिया होता तो किस तरह की महाभारत लिखी जाती। उसमेें द्रोपदी द्वारा दुशासन के रक्त से केश धोने…

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सेवा रूपी प्रकाश से ही मिटेगा आतंकवाद का अंधकार

सुशीला रोहिला सोनीपत(हरियाणा) *************************************************************************************** आज विश्व में आतंकवाद का तिमिर फैला हुआ है। इस तिमिर को नष्ट करने के लिए सभी को एकजुट होना पड़ेगा। विज्ञान और अध्यात्म का समन्वय…

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चार चुभते हुए मामले

डॉ.वेदप्रताप वैदिक गुड़गांव (दिल्ली)  ********************************************************************** आज अदालत के चार मामलों ने देश में बड़ी खबरें बनाईं। एक तो प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगाई का मामला,दूसरा राहुल गांधी की माफी,तीसरा किरन बेदी…

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नियमों में फँसी वाहनों की हिंदी अंक पट्टी

डॉ.अरविन्द जैन भोपाल(मध्यप्रदेश) ***************************************************** हिंदी को राष्ट्रभाषा स्थापित होने के लिए सौ वर्ष हो गए और वह राष्ट्रभाषा नहीं बन पाई या सकी,तथा शायद भविष्य भी कोई उज्जवल नहीं दिखाई…

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दबाव एवं हिंसा की त्रासदी का शिकार बचपन

ललित गर्ग दिल्ली ******************************************************************* आज का बचपन केवल अपने घर में ही नहीं,बल्कि स्कूली परिवेश में बुलीइंग यानी दबाव एवं हिंसा का शिकार है। यह सच है कि इसकी टूटन…

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न्यायपालिका की अग्नि-परीक्षा

डॉ.वेदप्रताप वैदिक गुड़गांव (दिल्ली)  ********************************************************************** हमारे सर्वोच्च न्यायालय की इज्जत दांव पर लग गई है। पहले तो प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई पर यौन-उत्पीड़न का आरोप लगा और अब एक वकील…

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राष्ट्रीय चेतना कॆ लिए निजी स्वार्थ का बलिदान जरुरी

सुशीला रोहिला सोनीपत(हरियाणा) *************************************************************************************** राष्ट्रीय चेतना का अभिप्राय(समाज की उन्नति) राष्ट्र की चेतना-प्राण शक्ति समाज से है। राष्ट्र शब्द समाज के अर्थ में ही प्रयुक्त होता है। जिस क्षण समुदाय…

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प्रधान सेवक का अहं विकास में बाधक

डॉ.अरविन्द जैन भोपाल(मध्यप्रदेश) ***************************************************** एक जमाना था जब कुआँ और तालाब चोरी हो जाते थे,तथा बाँध भी ग़ुम जाते थे और उनकी जाँच होने पर सही होती थी पर वर्तमान…

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वास्तविक मुद्दों को गुमराह कर `आरोप-प्रत्यारोप` की राजनीति

शिवांकित तिवारी’शिवा’ जबलपुर (मध्यप्रदेश) ******************************************************************** भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है जहाँ सभी वर्गों,जातियों एवं सम्प्रदायों से जुड़े लोगों को अपनी बात कहने और अपना पक्ष रखने की…

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