जाकी रही भावना जैसी

डॉ. सोमनाथ मुखर्जीबिलासपुर (छत्तीसगढ़)******************************************* 'जाकी रही भावना जैसी,प्रभु मूरत देखी तिन तैसी' इसका मतलब जिसकी जैसी भावना उसी के अनुरूप प्रभु (श्रीराम) को उसी रूप में देखा। यह पंक्ति आजकल…

Comments Off on जाकी रही भावना जैसी

मार्निंग वॉक

डॉ. सोमनाथ मुखर्जीबिलासपुर (छत्तीसगढ़)******************************************* चिकित्सक ने मेरा हेल्थ चेक-अप करने के बाद कहा,अब तक तो ठीक है। आपको कोई भी शारीरिक समस्या नहीं है,पर मेरी बात मानें तो रोज सुबह…

Comments Off on मार्निंग वॉक

इसका अंत कहाँ ?

डॉ. आशा मिश्रा ‘आस’मुंबई (महाराष्ट्र)******************************************* रोज की तरह आज भी आकाश पाठ ख़त्म होने के बाद पहले घंटे की शुरुआत में कक्षा में आया। आकाश मेरी कक्षा का ग्यारह-बारह वर्ष…

Comments Off on इसका अंत कहाँ ?

बैंक की नौकरी

डॉ. आशा मिश्रा ‘आस’मुंबई (महाराष्ट्र)******************************************* बी.कॉम. का दूसरा वर्ष समाप्त हुआ भी नहीं था और पिताजी ने मेरा विवाह तय कर दिया। मेरे लाख मना करने के बावजूद अच्छा घर…

Comments Off on बैंक की नौकरी

बदले रंग ज़माने के

मधु मिश्रानुआपाड़ा(ओडिशा)******************************** दीपावली पर्व स्पर्धा विशेष …… "अरे पप्पू यहाँ गाँव में कुम्हार तो है,शायद हरी नाम था उसका..! उससे ही तो दीदी,दीवाली के लिए दीए और कलश वगैरह लेतीं…

Comments Off on बदले रंग ज़माने के

४ पैसे वाला गणित

गोवर्धन दास बिन्नाणी ‘राजा बाबू’बीकानेर(राजस्थान)*********************************************** हम सभी ने बड़े-बुजुर्गों से सुन ही रखा है,-'चार पैसे कमाओगे,तब समझ में आएगा…,चार लोग क्या कहेंगे…,चार दिन की चाँदनी,फिर अंधेरी रात…' वगैरह-वगैरह। ऐसी अनेक तरह…

Comments Off on ४ पैसे वाला गणित

एक आध्यात्मिक व्यक्तित्व

डॉ.मधु आंधीवालअलीगढ़(उत्तर प्रदेश)**************************************** २०१३ की घटना है,मैं नगर निगम के पार्षद का चुनाव लड़ी और दूसरी बार पार्षद बनी। एक सामाजिक संगठन की भी सचिव थी तो मैं और संगठन…

Comments Off on एक आध्यात्मिक व्यक्तित्व

पढ़ाई अंग्रेजी में, लेकिन बात हिन्दी में ही

गोवर्धन दास बिन्नाणी ‘राजा बाबू’बीकानेर(राजस्थान)*********************************************** भारत की आत्मा 'हिंदी' व हमारी दिनचर्या.... हमारे समय में हिन्दी का ही बोलबाला था। अंग्रेजी माध्यम के विद्यालय बड़े शहरों में ही होते थे,वो भी…

Comments Off on पढ़ाई अंग्रेजी में, लेकिन बात हिन्दी में ही

‘आप अनपढ़ हो…?’

राधा गोयलनई दिल्ली****************************************** आज तक मैंने जिस कार्यालय में भी काम किया है,वहाँ यह कोशिश की कि लोग अंग्रेजी का मोह त्याग सकें और हिंदी को प्रोत्साहन मिले। एक कार्यालय…

Comments Off on ‘आप अनपढ़ हो…?’

शिक्षक ही रखता है़ पटरियों की नींव

शशि दीपक कपूरमुंबई (महाराष्ट्र)************************************* शिक्षक:मेरी ज़िंदगी के रंग’ स्पर्धा विशेष….. ज़िंदगी के रंग में शिक्षक का पीताबंर रंग आकाश में स्थित सूरज,चाँद,तारों व अन्य ग्रहों के संग सदैव सुख-दु:ख के…

Comments Off on शिक्षक ही रखता है़ पटरियों की नींव