बासी रोटी भी कहाँ!
डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* बासी रोटी के लिए, भटक रहे बहु लोग।कैसी आजादी मिली, फँसे कोटि जन रोग॥ देख भूख की विवशता, क्रन्दित है कवि चित्त।कैसी जनता अवदशा,…
डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* बासी रोटी के लिए, भटक रहे बहु लोग।कैसी आजादी मिली, फँसे कोटि जन रोग॥ देख भूख की विवशता, क्रन्दित है कवि चित्त।कैसी जनता अवदशा,…
डॉ. योगेन्द्र नाथ शुक्लइन्दौर (मध्यप्रदेश)****************************** सारा देश बना इन दिनों रंगमंच,नित नये चल रहे कौतुक सततपटाक्षेप भी हो पाता नहीं,कि शुरू हो जाता नया नाटक...लो आया मौसम चुनाव का!प्रत्याशियों की…
सुश्री अंजुमन मंसूरी ‘आरज़ू’छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश)****************************************** किताब-ए-ज़िंदगी के बाब में नहीं देखा।बहुत दिनों से उसे ख़्वाब में नहीं देखा। बहुत दिनों से मेरी आँखों में अँधेरा है,बहुत दिनों से उसे…
दिनेश चन्द्र प्रसाद ‘दीनेश’कलकत्ता (पश्चिम बंगाल)******************************************* पाँच साल बाद जब आता है चुनाव,सभी लगाने लगते हैं अपना-२ दाँवनैया सभी की डूब जाती है मझधार,किसी एक की ही पार लगती है…
श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)******************************************* जीवन संघर्ष (मजदूर दिवस विशेष)... मैं भारत का रहने वाला, भारतीय मजदूर हूँहमारी लाचारी नहीं, पेट के लिए मजबूर हूँ। भारत में मजदूरी का, कोई भी…
कमलेश वर्मा ‘कोमल’अलवर (राजस्थान)************************************* जीवन संघर्ष (मजदूर दिवस विशेष)... अकेले बैठे सोच रहा था दिहाड़ी का मजदूर,आज का दिन तो निकल गया कल का क्या होगा ? घर से निकल…
डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) ********************************************* जीवन संघर्ष (मजदूर दिवस विशेष)... श्रम करतेसिर पर टोकरीथकते नहीं। भार उठातेकरते परिश्रमतपती धूप। औरों के हितनिज का परित्यागयही जीवन। सर्दी गरमीसबमें है समानफिर भी खुश।…
संजय वर्मा ‘दृष्टि’ मनावर(मध्यप्रदेश)**************************************** प्यार टेसू-सा,जो मौसम का रखताप्यार का हिसाब,यदि गुलाब-सा होताखुशबू बरकरार,किताबों में रखा फूलमहकता रहता,सूखने के बाद भीदूरियाँ यादों कीवाई-फाई,मगर देर हो चुकीचिड़िया चुग गई खेत। सपने बने…
डॉ. श्राबनी चक्रवर्तीबिलासपुर (छतीसगढ़)************************************************* मजबूर नहीं,मज़दूर हूँ मैंमेहनत की रोटी खाती हूँ। दिनभर तप कर,कस कर श्रम करबहुत थोड़ा कमाती हूँ मैं। रेती, गारा, ईंट और पत्थर,सिर पर ढोकर, जोड़-जोड़करघर,…
बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)************************************************ श्री शिवाय नमस्तुभ्यम... नश्वर इस संसार से, क्या जायेगा साथ।शिव से रिश्ता जोड़िये, सदा झुकाकर माथ॥ औघड़दानी शम्भु शिव, लेते हैं जो नाम।काम सफल होते…