हम तुम्हारे हो चुके
विवेकशील राघवहाथरस(उत्तरप्रदेश)*************************** काव्य संग्रह हम और तुम से प्रेम की बहती नदी के,हम किनारे हो चुके हैंlतुम हमारे हो चुके हो,हम तुम्हारे हो चुके हैंll भावना का आचमन कर,प्रीति पावन…
विवेकशील राघवहाथरस(उत्तरप्रदेश)*************************** काव्य संग्रह हम और तुम से प्रेम की बहती नदी के,हम किनारे हो चुके हैंlतुम हमारे हो चुके हो,हम तुम्हारे हो चुके हैंll भावना का आचमन कर,प्रीति पावन…
ओम अग्रवाल ‘बबुआ’मुंबई(महाराष्ट्र)*********************************************** काव्य संग्रह हम और तुम से.... दिल धड़कता इश्क़ से ही,इश्क़ से चलती है श्वांस,इश्क से है लाल शोणित,इश्क जीवन की है प्यास। इश्क़ रांझा-हीर का था,इश्क़…
प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) **************************************************** नारी का श्रंगार है झुमका,गरिमा का तो सार है झुमका। नारी की शोभा झुमके से,आकर्षण,उजियार है झुमका। मेले,उत्सव और पर्व पर,दमके,वह संसार है झुमका। नारी…
संदीप ‘सरस’सीतापुर(उत्तरप्रदेश)*********************************************** मैं अमरबेल-सा परजीवी,तुम पारिजात से वृक्ष बने।मैं हूँ रसहीन अगीत किन्तु,तुम छन्दों के समकक्ष बने। मैं हाथ जोड़कर उत्तर देता,धर्माश्रयी युधिष्ठिर सा,तुम काम्यावन सरिता तट पर,प्रश्नोत्तर करते यक्ष…
प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ******************************************************* प्रेमिल गहरा राज़ ले,आती करवा चौथ।मिलन कराती देह का,भाती करवा चौथ। चंदा बनता साक्षी,गाता नेहिल गीत,हियकर मधुरिम चाँदनी,लाती करवा चौथ। प्रेम बढ़े तब और भी,जब…
शिखा सिंह ‘प्रज्ञा’लखनऊ (उत्तरप्रदेश)************************************************* दर्द के मुशायरा पर मुस्कुराना मना है,दर्दे-गम में तड़पकर घबरा जाना मना है। इश्क़ के राह में तेरा बच पाना मना है,अजनबी के वार से संभल…
शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ***************************************************************** मानव का क्या हाल हो गया,मानवता को घोल पी गया।सच्चाई का हाल बुरा है,झूठा फूला ढोल हो गया॥ दुनिया का है चलन निराला,बाहर उजला अंदर काला।निर्बल…
ओम अग्रवाल ‘बबुआ’मुंबई(महाराष्ट्र)*********************************************** जानता हूँ नेह का,आधार बेटियाँ।घर नहीं,होतीं हैं ये परिवार बेटियाँ।। हर पिता की आँख का,नूर तो होती ही हैं,होती हैं माँ के प्यार का,इजहार बेटियाँ।जैसे तुलसी आँगन…
डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ************************************************** शिक्षक की गरिमा को जिसने मान दिलाया।कर्म क्षेत्र में शिक्षा को सम्मान दिलाया॥आज दिवस उनका ही जो थे महाविचारक।'शिक्षक दिवस' रूप में जो थे ज्ञान प्रचारक॥…
बाबूलाल शर्मासिकंदरा(राजस्थान)************************************************* रचना शिल्प:३२ वर्ण( ८८८८) प्रतिचरण चार चरण समतुकांत,आंतरिक समान्तता अपेक्षित,चरणांत लघु-लघु ११ हे श्याम वर्ण के घननर्मद सा हो ये मन,पत्थर शिव जीवनवसुधा पर सावन। सागर जैसा हो…