छोड़ दोगे यदि अभिमान…

संजय जैन मुम्बई(महाराष्ट्र) **************************************** मान-अभिमान के कारण,उजड़ गए न जाने कितने घरहँसते-खिलखिलाते परिवार,चढ़ गए इसकी भेंटफिर न मान मिला,न ही सम्मान मिलापर आ गया अभिमान,जिससे रूठ गए परिवार। हमें न मान चाहिए,न सम्मान चाहिएबस आपस का,प्रेम-भाव चाहिएमतभेद हो सकते हैं,फिर भी साथ चाहिएक्योंकि अकेला इंसान,कुछ नहीं कर सकताइसलिए सभी का,हमें साथ चाहिए। यदि आप सभी आओगे,एकसाथ … Read more

झुमका सोहे कान

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)************************************** नारी का श्रृंगार ये,झुमका सोहे कान।सुन्दर मुख हर पल हँसी,होंठों पर मुस्कान॥होंठों पर मुस्कान,लिए झुमका चमकाती।पायल की झंकार,सुरीली मन को भाती॥कहे ‘विनायक राज’,स्वर्ण चाँदी अति प्यारी।झुमका दोनों कान,पहनती सुन्दर नारी॥

बरसे पानी

प्रिया देवांगन ‘प्रियू’ पंडरिया (छत्तीसगढ़) ********************************** रिमझिम-रिमझिम बरसे पानी।चहक उठी है चिड़िया रानी॥हरियाली पेड़ों पर छायी।डाल-डाल पर वह लहरायी॥ गलियाँ सारी सूनी रहती।रिमझिम पानी उसमें बहती॥मिट्टी की खुशबू है आती।सबके मन को वह बहलाती॥ रंग-बिरंगी तितली आती।बैठ पुष्प पर वह मुस्काती॥पुष्प रसों को वह पी जाती।जीवन में खुशियाँ बिखराती॥ पानी की बौछारें आती।सबके तन-मन को … Read more

अंधेरा नहीं रहेगा

ममता तिवारीजांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** बुरे तो हैं पर बुरा न देखो,कहते हैं वो अकुलाएअकल अंधे होते कुछ बंदे,भेड़चाल जो अपनाए। झूठ परोस लपेट चाशनी,छि कहे तो आँख दिखाएआँख मूंद कर चलने वाले,उजली दुनिया घबराए। चाहे अंधेरा रहे कायम,अंधा लो जमात सजाएसाथ निभाने अक्ल के पैदल,आँखें बांध चले आए। रहबर बना चल पड़े पीछे,अंधे का साम्राज्य बनाए।इक-इक कड़ी … Read more

हिन्दी का सजग प्रहरी पत्रकार-आचार्य शिवपूजन सहाय

डॉ. अमरनाथ*************************************************************** हिन्दी योद्धा……. आचार्य शिवपूजन सहाय के निधन पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए रामधारी सिंह दिनकर ने कहा था,-“अगर उनकी सोने की मूर्ति लगाकर,चारों ओर पत्तर पर हीरे जड़ दिए जाएं,तो भी उनकी हिन्दी-सेवा का प्रतिदान नहीं चुकाया जा सकता।” कर्मेन्दु शिशिर ने अपनी पुस्तक ‘पत्रकारिता के युग-निर्माता:शिवपूजन सहाय’ में लिखा है,- “जीवन … Read more

संतुलित व प्रभावी लघुकथाकार, कहानीकार है सिद्धेश्वर-प्रो.(डॉ.)शरद खरे

मंडला(मप्र)। साहित्य की विविध विधाओं पर सिद्धेश्वर का एकल पाठ सुनने के बाद लगता है कि वे एक सधे और मंझे साहित्य सृजक हैं,जिनके पास एक विशिष्ट चिंतन व मौलिकता विद्यमान है। वे संतुलित व प्रभावी लघुकथाकार,कहानीकार हैं।मुख्य अतिथि और वरिष्ठ गीतकार-कथाकार प्रो.(डॉ.) शरद नारायण खरे ( म.प्र).ने ‘हैलो फेसबुक साहित्य सम्मेलन’ के अंतर्गत कहानीकार-कवि-चित्रकार … Read more

ईश स्वरूप माँ

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** मुझको तो माँ की गोदी में स्वर्ग दिखाई देता है,माँ का मधुरिम स्पर्श सभी मन की पीड़ा हर लेता है। सहनशील ममता की मूरत हृदय समुंदर है जिसका,करें समाहित हर पीड़ा अंतस विशाल कितना उसकाअपनी पीड़ा सदा छुपा सबकी पीड़ा हर लेती है,आँखों में उमड़ा दरिया आँखों में ही पी लेती … Read more

कान्हा कब होगा तेरा आना…?

आचार्य गोपाल जी ‘आजाद अकेला बरबीघा वाले’शेखपुरा(बिहार)********************************************* मधुबन में मुरली मीठी बजाना,यूँ गाय चराने नित दिन जाना।मित्र-मंडली में नित इठलाना,कान्हा अब कब होगा तेरा आना ? गोकुल-गलियों में‌ धूम मचाना,बाल सखा संग माखन खाना।यमुना तीर पर तेरा चीर चुराना,कान्हा अब कब होगा तेरा आना ? मकराकृत कुंडल अंग पीतांबर,मोर मुकुट मस्तक पर लगाना।नित गल बैजंती … Read more

पढ़ाई के साथ खेल भी आवश्यक

गोवर्धन दास बिन्नाणी ‘राजा बाबू’बीकानेर(राजस्थान)*********************************************** जब हम छोटे थे,तब दौड़ा-दौड़ी के बाद सबसे पहले लूडो खेलना शुरू किया जो आज भी उम्र के इस पड़ाव में उतने ही उत्साह से खेल लेते हैं। जब कुछ सयाने हुए तब कैरम खेलने लग गए। कुछ और सयाने हुए,तब पांव से गेंद एक दूसरे की तरफ फेंकने लगे। जब … Read more

सोच के कदम बढ़ाना

राधा गोयलनई दिल्ली****************************************** अफगानिस्तान में मची हुई है आज तबाही भारी,तालिबानियों के आतंक से थर्राई दुनिया सारी। कितने ही अफगानी वहाँ से जान बचाकर भागे,किसी देश ने शरण नहीं दी उनके डर के आगे। ऐसा न हो इसी आड़ में ‘तालिबानी’ आ जाएँ,अपने आश्रयदाता को ही ये धोखा दे जाएँ। एक भूल के कारण ही … Read more