सुख-दु:ख जीवन के हिस्से…
नरेंद्र श्रीवास्तवगाडरवारा( मध्यप्रदेश)**************************************** सुख-दु:ख जीवन के हिस्से हैं,जो हिस्से में,जब आ जायें।सुख आये तो संयम बरतें,दु:ख आने पर,ना घबरायें॥ सुख के पल खरगोश-दौड़ से,दु:ख कछुए की चाल धरे।सुख की मस्ती मदहोशी दे,दु:ख जीना बेहाल करे।सुख-दुख के इस भँवर जाल में,भ्रमित ना हो,मन समझावें॥ कर्म,भोग दोनों ही हैं यहाँ,नियति चक्र ये है अविरल।सुख-दु:ख हैं प्रारब्ध कर्म … Read more