‘कोरोना’ कहर

राधा गोयलनई दिल्ली****************************************** बहुत तरक्की कर ली तुमने,कई देशों को जीत लिया,औद्योगिक क्रांति के कारण जग में बहुत विकास हुआ।एक सूक्ष्म से परजीवी से सबका जीना हुआ मुहाल,आज बैठ वो…

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है अबोध यह बालपन

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************** है अबोध यह बालपन,निश्छल निर्मल चित्त।चपल प्रकृति कोमल सरल,मधुर स्नेह आवृत्त॥ खेलकूद कौतुक सहज,भावुक मन उद्गार।मेधावी नित अनुकरण,कौतूहल आचार॥ मनमौज़ी नित बालपन,लोक नीति अनजान।गंगाजल…

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शबरी ही समझाए भक्ति

रेणू अग्रवालहैदराबाद(तेलंगाना)************************************ मतंग मुनि की शिष्या शबरी कहलाए,त्रेता युग की भक्ति शबरी ही समझाए।आँगन बुहारे फ़ूल बिछाए,राम-राम नित रोज़ जपे,लगन भक्ति में हो तो भगवान भी चलकर आए॥ बचपन बीता…

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कितना करूँ इतंजार कान्हा…!

डॉ. अनिल कुमार बाजपेयीजबलपुर (मध्यप्रदेश)************************************************ मंद-मंद जब चलती हवाएं,चाँद बादलों से मुस्कुराएजहाँ-जहाँ मेरी पड़ें निग़ाहें,कान्हा ही कान्हा नजर आएं।आखिर कैसा प्यार ये कान्हा,कितना करूँ इतंजार कान्हा…!! रहती हूँ सारा दिन…

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बिटिया के जन्म दिन पर कराई काव्य गोष्ठी

इंदौर(मप्र)। साहित्य सदैव संस्कारों को पोषित करता है और जीवन में माधुर्य विद्यमान रहता है। इसी मधुरता को चहुंओर बिखेरने में निरंतर प्रयासरत संस्था 'नई क़लम' (साहित्य के नवांकुर) द्वारा…

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अंतर. मातृभाषा दिवस स्पर्धा में एच.एस. चाहिल व डॉ. शरद खरे प्रथम विजेता

कड़े मुकाबले में दूसरा स्थान पाया गोपाल चंद्र मुखर्जी और डॉ. धाराबल्लभ पांडेय 'आलोक' ने इंदौर(मप्र)। मातृभाषा हिंदीभाषा के सम्मान की दिशा में सतत कार्यरत हिंदीभाषा डॉट कॉम परिवार द्वारा…

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पवित्र हदय ही उत्तम तीर्थ

रोहित मिश्र, प्रयागराज(उत्तरप्रदेश) ********************************************** भारतीय समाज में ये मान्यता है कि गंगा नदी में स्नान करने से सारे पाप धुल जाते हैं। यानि आपके मन में अगर कुछ गलत विचार…

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जय जय शिव भोले भंडारी

डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) ******************************************** जय जय शिव भोले भंडारी।त्रिपुरान्तक शंकर अविकारी॥शक्ति और शिव रूप निराला।करते सदा जगत प्रतिपाला॥ शिव हैं जग के पालनहारी।कहलाते भोले त्रिपुरारी॥जटाजूट मुण्डों की माला।गल में सर्पहार…

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मनुष्य के पास मानवता नहीं तो,जीवन निरर्थक

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) *********************************** मानवता मनुष्य का सबसे बड़ा धर्म होता है। यह हर मनुष्य के लिए ज़रूरी है। अगर कोई मनुष्य दूसरों की सहायता करके मानवता नहीं दिखाएगा…

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जरा-सी भी लापरवाही घातक

गोवर्धन दास बिन्नाणी ‘राजा बाबू’बीकानेर(राजस्थान)*********************************************** 'कोरोना' संक्रमितों की संख्या में जिस तरह वापस बढ़ोतरी आ रही है,वह सभी के लिए चिन्ता का विषय है। इस बढ़ती संख्या को रोकने के लिए…

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