काव्य सम्मेलन से मनाया वट सावित्री व्रत

सरगुजा (छग) | कलम की सुगंध विश्व साहित्य नारी कोष के तत्वावधान में अखंड सुहाग के पर्व वट सावित्री अमावस्या के शुभ अवसर पर काव्य सम्मेलन किया गया। कार्यक्रम में संस्थापक संजय कौशिक विज्ञात, अध्यक्ष अनिता भारद्वाज अर्णव,मुख्य अतिथि मंशा शुक्ला एवं विशिष्ट अतिथि हर्षा देवांगन की उपस्थिति रही।इस कार्यक्रम में वट सावित्री व्रत पर … Read more

कबीरदास

आशा आजाद`कृति`कोरबा (छत्तीसगढ़) ******************************************* शुभ कबीर कविराज,जगत के है उजियारा।नेक दिया संदेश,मिटाया मन अँधियारा॥कासी रहा निवास,बोल नित सत गुण भाषा।बोले संत कबीर,सत्य ही मन परिभाषा॥ गुरुवर रामानंद,कबीर सत् पथ अपनाए।करके जनकल्याण,काव्यधारा शुभ लाए॥शब्द-शब्द को तोल,दिया है सुंदर बानी।जानें संत कबीर,श्रेष्ठ कहलाते ज्ञानी॥ सुंदर रखकर ध्येय,ज्ञान जग में फैलाए।भक्तिकाल कविराज,सृजन अंर्तमन भाए॥सरल सहज थे बोल,छंद की … Read more

पूरी सदी त्रासदी वाली

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)************************************ पूरी सदी त्रासदी वाली,न होली न मनी दिवाली। सड़कों पर सन्नाटा छाया,कचरे की भी दिखी न ट्राली। बाज़ारों से फल गायब हैं,गायब जामुन काली-काली। लीची,आम,पपीता छोड़ो,अब सारी मंडी है खाली। चावल से ही चले रसोई,खाओ खूब पुलाव ख़याली। बिन अपराध बने सब क़ैदी,जैसी भी हो ले लो थाली। ‘कोरोना’ आतंकी आया,छिप जाओ वह … Read more

कहां से दिलाऊँ छाँव रे…

डॉ. गायत्री शर्मा’प्रीत’कोरबा(छत्तीसगढ़)******************************************* पर्यावरण दिवस विशेष….. धरती बंजर हो गई है कहां सेदिलाऊँ छाँव रे,कड़ी धूप से झुलस रहे हैं आजशहर और गाँव रे। हरे-भरे पेड़ों को काटा,हरियालीको छीन लिया,नीम पीपल व बरगद कम है मिलतीनहीं अब छाँव रे।कड़ी धूप से झुलस… फूल कहीं अब खिलते नहीं हैकाँटों की भरमार है,नदियाँ सारी सूख रही है … Read more

माँ का सम्मान करें

अमल श्रीवास्तव बिलासपुर(छत्तीसगढ़) *********************************** बचपन से ना जाने कितने,देवी-देव मनाती हैसुता,बहन,पत्नी से होकर,यात्रा माँ तक आती है। नौ माह तक रखा गर्भ मेंसर्द-दर्द सब सहती हैकब देखूं मुखड़ा शिशु का ?इस इन्तजार में रहती है। ज्यों ही मेरा जन्म हुआ,माँ ने आँचल में छिपा लियास्तनपान कराया मुझको,निज गोदी में उठा लिया। नोंचा,खुरचा,रोया,रौंदा,मचला,पाँव प्रहार कियापर माता ने … Read more

मन का दर्पण

प्रिया देवांगन ‘प्रियू’ पंडरिया (छत्तीसगढ़) ************************************ मन का दर्पण साफ रख,खड़ा हुआ है आज।सच्चाई का सामना,पूरा करते काज॥ नारी का श्रृंगार है,सजती है दिन-रात।बैठ पिया के सामने,करती मीठी बात॥ मन के अंदर मैल है,मुखड़ा यूँ चमकाय।मीठी-मीठी बात से,मन को बहुत लुभाय॥ दर्पण से खेले नहीं,आती गहरी चोट।रख सच्चाई सामने,मन में जितना खोट॥ मन के अंदर … Read more

किसान की पीड़ा

जसवीर सिंह ‘हलधर’देहरादून( उत्तराखंड)********************************* मिला खून माटी उगाता हूँ दाने,यही साधना मैं इसी का पुजारी,नहीं धूप देखूँ-नहीं छाँव देखूँ,पड़े पाँव छाले नहीं है सवारी। न बेटा पढ़ा है-न बेटी पढ़ी है,नहीं आड़ कोई न कोई बसेरा,मरूँ भूख से या चबा जाय कर्जा,नहीं रात देखूँ न देखूँ सवेरा।न देखूँ उजाला न ओढ़ा दुशाला,फिरूँ रात भागा यही … Read more

सहनशीलता के संग ज़मीर की जंग

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ******************************************** सहनशीलता के संग ज़मीर की जंग सदैव ही मानवजाति के पुरुषार्थ,संयम,धैर्य,साहस,आत्मबल और आत्मविश्वास की परीक्षा मानी जाती रही है। जीवन में कर्तव्य पथ पर रहते हुए मनुष्य को अनेक बाधाओं,निन्दा और अपनों द्वारा प्रदत्त अपमानों और दुःखों को सहना पड़ता है। तब लोगों के धैर्य और विश्वास डगमगाने लगते … Read more

वाणी

जबरा राम कंडाराजालौर (राजस्थान)**************************** वाणी से पहचान है,वाणी ही व्यवहार।सोच-समझ कर बोलिये,सार सार कर सार॥ वाणी लखे चरित्र से,वाणी लखे विचार।वाणी से ही जीत है,वाणी से ही हार॥ वाणी से झगड़े मिटे,वाणी छैड़े जंग।वाणी से नफरत करे,वाणी से ही रंग॥ वाणी प्रेम बढात है,वाणी फैले द्वेष।वाणी साधारण रखे,वाणी करे विशेष॥ वाणी से ऊंचा बने,वाणी से … Read more

जनता लाचार नहीं

रेणू अग्रवालहैदराबाद(तेलंगाना)************************************ पापियों को क्या धिक्कार नहीं।उनका जीना क्यों दुश्वार नहीं। सज्जन लोग क्यों चुप रह जाते हैं,सच बोलने का उनको अधिकार नहीं। जो देश खा रहे भीतर ही भीतर,क्या वो दल नेता ग़द्दार नहीं। जब सत्ता सब सरकार के पास है,ऐसे में क्या जनता लाचार नहीं। चुप रहना भी तूफ़ान का संकेत है,क्या लोकतंत्र … Read more