मंदिर से लेकर युद्ध तक रानी का शौर्य आज भी जीवन्त

गुलाबचंद एन.पटेल गांधीनगर(गुजरात) ************************************************************************ इमेजीन ग्रुप ऑफ कंपनीज़(झाँसी) की ओर से `राष्ट्रीय हिन्दी साहित्य सम्मेलन` में उपस्थित रहने का निमंत्रण प्राप्त हुआ। २२ फरवरी २०२० को होटल एमबीन्स में सम्मेलन…

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रूठो मत इतना सज़न

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** यौवन सरित उफ़ान पर,मादकता भर नैन। तन्हाई के दर्द से,सजनी दिल बेचैन॥ अश्क नैन से हैं भीगे,पीन पयोधर गाल। रूठो मत इतना सज़न,है…

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‘चंद्रशेखर आजाद शहीद दिवस’ स्पर्धा में गीतांजली वार्ष्णेय ‘गीतू’ प्रथम व रश्मि लता मिश्रा द्वितीय विजेता

इंदौर। हिन्दीभाषा डॉट कॉम परिवार द्वारा ‘चंद्रशेखर आजाद शहीद दिवस' पर मासिक स्पर्धा कराई गई थी। इसमें गीतांजली वार्ष्णेय 'गीतू'(उप्र) प्रथम तथा रश्मि लता मिश्रा(छग) द्वितीय विजेता घोषित की गई…

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गुमनाम देशभक्त

अरशद रसूल, बदायूं (उत्तरप्रदेश) ********************************************************************* मामूली-सी बात पर दोनों पक्षों के लोग आमने-सामने आ चुके थे। तनातनी हद से कुछ ज्यादा ही बढ़ती जा रही थी। दोनों ही पक्ष खुद…

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आईने की भाषा में लिपिबद्ध डॉ.उत्तमदास की ‘बाईबल’ लोकार्पित

दिल्ली। दुनिया एक किताब है और हर राह एक सबक। आईने की भाषा यानी दर्पण की लिपि भी एक हुनर है,एक प्रेरणा है। इस हुनर के जादूगर डाॅ. उत्तमदास ने…

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जैसा बोया,वैसा ही पाओगे तुम

डॉ. वसुधा कामत बैलहोंगल(कर्नाटक) ******************************************************************* 'माँ' का दिन मनाने चले, माँ को वृध्दावस्था में वृध्दाश्रम रख आए। आज माँ की याद आयी, दिखावे का मुखड़ा लगाकर आज माँ पर हजार…

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प्रेम से मिलते हैं…

शशांक मिश्र ‘भारती’ शाहजहांपुर(उत्तरप्रदेश) *********************************************************************************** कहीं-कहीं पर रंग मिलते हैं, कहीं पर मित्रों दिल मिलते हैं। सालों की कटुता कोई मिटाता- प्रेम का पर्व यह प्रेम से मिलते हैं॥ परिचय–शशांक…

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सुलझती ही नहीं रिश्तों की उलझन

डॉ.अमर ‘पंकज’ दिल्ली ******************************************************************************* हवाओं में जो उड़ते हैं कहाँ क़िस्मत बदलते हैं, बड़े नादान हैं जो चाँद छूने को मचलते हैंl फ़ज़ा में रंग है लेकिन नहीं रंगीन है…

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दिल्ली क्यों दहली!

विजय कुमार मणिकपुर(बिहार) ****************************************************************** ये दिल्ली थी दिलवालों की अब क्यों है दंगाई की, क्या कसूर उन मजदूरों का... बलि चढ़ी उन वीरों की। क्यों न पूछें ये जनमानस कानून…

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छैयां नीम की

पूनम दुबे सरगुजा(छत्तीसगढ़)  ****************************************************************************** आँगन की छैयां सुहानी, बाबा सुनाते थे कहानी दादी लिए हाथ में पानी, देख हमें कैसे मुस्काती। खेलें हम पकड़े बंहियां..., नीम की छैयां...॥ गर्मी के…

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